टेलीकॉम कंपनियां हर महीने एक करोड़ से ज्यादा रिसाइकल्ड मोबाइल नंबर जारी करती हैं. इन रिसाइकल्ड मोबाइल नंबर्स से यूजर्स को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. यूजर्स को नए नंबर्स पर कई बार लोन रिकवरी के कॉल्स आने लगते हैं तो कई बार उन्हें बैंक खाते या आधार खाते से नंबर जोड़ने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
यूजर्स को हो रही है दिक्कत कई बार नए मोबाइल नंबर कनेक्शन लेने पर बैंक के रिकवरी एजेंट्स लोन की रिकवरी के लिए लगातार कॉल करने लगते हैं. इतना ही नहीं, कई यूजर्स ऐसे नए मोबाइल नंबर को अपने बैंक खाते या यूपीआई से भी लिंक नहीं कर पाते हैं क्योंकि यह पहले से ही किसी और के खाते से जुड़ा होता है. इसकी मुख्य वजह यह है कि टेलीकॉम कंपनियां वैसे पुराने नंबर्स नए यूजर्स को जारी कर देती हैं, जिसे कुछ महीने पहले तक कोई और यूज कर रहा था.
तेजी से बढ़ रही मांग इकोनॉमिक टाइम्स ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि टेलिकॉम कंपनियों के पास नंबरिंग संसाधन सीमित हैं. ऐसे में सभी को नया और यूनिक नंबर अलॉट नहीं कर सकते हैं. बाजार में मोबाइल नंबरों की मांग तेजी से बढ़ रही है, इसलिए मौजूदा बंद नंबरों को ही दोबारा इस्तेमाल करना होगा.
रिसाइकल्ड नंबर जारी करना कानूनी रिसाइकल्ड नंबर जारी करना कानूनी रूप से सही है. ग्राहकों की बढती मांग के कारण इसे जारी करना टेलीकॉम कंपनियों की जरूरत है. लेकिन कई मामलों में यह बड़ी समस्या खड़ी कर रहा है. इस स्थिति में ऐसे नंबर जिसे ग्राहक यूज नहीं कर रहे है उसे जैसे विभिन्न अधिकारियों से संपर्क कर उसे डिसकनेक्ट कर देना चाहिए.
क्या कहते हैं नियम? नियमों के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियां किसी ग्राहक का मोबाइल नंबर 6 महीने तक इस्तेमाल या रिचार्ज न करने पर उसका कनेक्शन बंद कर सकती है. मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) के मामले में, अगर किसी यूजर ने पोर्ट की रिक्वेस्ट डाली है लेकिन वो नंबर किसी अन्य टेलीकॉम कंपनी में स्थानांतरित नहीं हुआ है, तो ऐसी स्थिति में दो महीने के बाद वो नंबर वापस ले लिया जाएगा. यानी इसके बाद कंपनी इन रिसाइकल्ड नंबर्स को दोबारा किसी अन्य यूजर को जारी कर सकती हैं.
116.5 करोड़ मोबाइल फोन ग्राहक दूरसंचार विभाग (DoT) के अनुसार 1-9 तक के नंबरिंग चेन को मोबाइल और लैंडलाइन के लिए जारी किए जाते हैं. पहले मोबाइल नंबर ‘9’ से शुरू होते थे लेकिन बढ़ती मांग के कारण अब मोबाइल सेवाओं के लिए 8, 7 और 6 का भी उपयोग किया जा रहा है.
आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2019 में, DoT ने लेवल 6-9 में मोबाइल सेवाओं के लिए कुल 191.7 करोड़ नंबर जारी किए. फरवरी के अंत तक भारत में लगभग 116.5 करोड़ मोबाइल फोन ग्राहक थे, जिनमें से लगभग 87.7 करोड़ वायरलेस ब्रॉडबैंड यूजर्स थे.
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