भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) डिजिटल पेमेंट कंपनियों के लिए सख्त पूंजीकरण मानदंड और KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया को लागू करने की तैयारी कर रहा है. इसके तहत RBI पाइन लैब्स, MSwipe, Innoviti Payments, और Ezetap जैसी कंपनियां जो ऑफ़लाइन मर्चेंट आउटलेट्स पर पीओएस मशीन, मोबाइल पेमेंट टर्मिनल और QR कोड लगाती हैं उन्हें रेगुलेशन के दायरे में लेकर आएगा. फिलहाल आरबीआई पेमेंट एग्रीगेटर/पेमेंट गेटवे (PA/PG) लाइसेंस की अंतिम मंजूरी की प्रक्रिया को पूरा करने पर काम कर रहा है. ऐसा करने से ऑफ़लाइन पेमेंट करना आसान तो बनेगा ही साथ ही पहुंच और बढ़ेगी.
इंडस्ट्रूी को उम्मीद है कि रेगुलेट करने की प्रक्रिया सरल और तेज होगी. साथ ही नियामक ऑफ़लाइन प्लेयर्स के लिए भी नियम बनाते समय ऑनलाइन PA-PG नियमों के ढांचे का पालन करेगा. ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए आरबीआई ने हर समय 25 करोड़ रुपए के नेट वर्थ बनाए रखने के को ज़रूरी कर दिया है. इसी तरह की नेटवर्थ बनाए की जरूरत ऑफलाइन प्लेयर्स के लिए भी आ सकती है. इसके अलावा नियामक ऑनलाइन प्लेयर्स की ही तर्ज पर ऑफ़लाइन पेमेंट कंपनियों के लिए भी केवाईसी जांच ज़रूरी करेगा.
इस क्षेत्र से जुड़ी जानकारी रखने वालों का कहना है कि ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर्स के विपरीत ऑफ़लाइन पेमेंट कंपनियों को बैंक और वीज़ा-मास्टरकार्ड जैसी पेमेंट नेटकवर्क कंपनियां मैनेज करती हैं इसलिए उन्हें रेगुलेट करना आसान होना चाहिए. क्योंकि उनमें से ज्यादातर पहले से ही अपने सहयोगी बैंकों के सख्त नियमों के तहत काम कर रही हैं. साथ ही, इनमें से कई कंपनियों ने पहले ही नियामक से सैद्धांतिक पेमेंट एग्रीगेटर की मंजूरी ले ली है.इसका मतलब है कि आरबीआई ने पहले ही उनकी जांच कर ली है. इस क्षेत्र में काम करने वाले दो स्टार्टअप फाउंडर्स का कहना है कि अभी तक इस मसले में इंडस्ट्री के साथ कोई बातचीत नहीं की गई है लेकिन इस क्षेत्र में किस तरह की पॉलिसी लाई जाने वाले हैं इस बारे में पहले से बता दिया गया है.
POS से कितना लेनदेन पीओएस मशीन पहले छोटे व्यापारियों के लिए लगा पाना बहुत मुश्किल होता था लेकिन नोटबंदी के बाद बैंकों ने डिजिटल पेमेंट को लेकर अभियान चलाया, बड़ी संख्या में बैंक खाते खोले और कई छोटी दुकानों और प्रतिष्ठानों पर भी पीओएस मशीन लग गईं. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 77 लाख PoS टर्मिनल लगे हैं. इनके ज़रिए क्रेडिट और डेबिट कार्ड से हर महीने लगभग 80,000 करोड़ रुपये का लेनदेन होता है.
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