आरबीआई की एक समिति ने बैंकों में बंद पड़े खातों के उत्तराधिकारियों की ओर से दावों के ऑनलाइन निपटान से लेकर पेंशनर्स के जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की सुविधा आदि को बेहतर बनाने के लिए बैंकाें को कुछ सुझाव दिए हैं. इसमें सेंट्रलाइज्ड यानी केंद्रीयकृत केवाईसी डेटाबेस की व्यवस्था पर भी जोर दिया गया. ग्राहक सेवा मानकों की समीक्षा करने वाली समिति ने रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया कि बैंक खातों के सही संचालन के लिए नो योर कस्टमर (केवाईसी) अपडेट को टालना नहीं चाहिए.
पेंशनरों की सुविधा का रखा जाए ध्यान
समिति ने पेंशनरों को राहत देने के मकसद से उन्हें बैंक के किसी भी ब्रांच में जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की अनुमति देने की बात कही है. अभी तक पेंशनर्स को उसी बैंक के ब्रांच में जीवन प्रमाणपत्र (एलसी) जमा करना होता है, जिसमें उनकी पेंशन आती है, लेकिन नए नियम से उन्हें राहत मिलेगी. इससे उन्हें बैंकों में लंबी लाइन में खड़े होने की जरूरत नहीं होगी. इसके अलावा आरबीआई ने तय महीने में प्रमाणपत्र जमा करने की बाध्यता हटाए जाने की भी बात कही, जिससे पेंशनर्स भीड़ से बच सके.
तय समय में लौटाने होंगे प्रॉपर्टी के दस्तावेज
अक्सर देखा जाता है कि लोन की अवधि पूरी होने के बावजूद प्रॉपर्टी के दस्तावेज समय से वापस नहीं किए जाते हैं. इसके निपटारे के लिए समिति ने कहा कि लोन अकाउंट बंद होने के बाद कर्ज लेने वालों के लिए संपत्ति के दस्तावेज वापस करने की एक समय सीमा तय होनी चाहिए. ऐसा न करने पर कर्जदाता पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए.
दस्तावेज खो जाने पर जानिए क्या होगा?
संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों के खो जाने या अन्य किसी नुकसान पर आरबीआई रेगुलेटेड संस्था (RE) न सिर्फ दस्तावेजों की प्रमाणित पंजीकृत कॉपियों को हासिल करने बल्कि इसका खर्च उठाने में भी मदद करेगा. साथ ही दस्तावेजों की वैकल्पिक कॉपियों की व्यवस्था करने में लगने वाले समय को ध्यान में रखते हुए ग्राहक को उचित मुआवजा दिए जाने का भी सुझाव दिया. बता दें रिजर्व बैंक ने पिछले साल मई में आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया था.
शिकायतों के निपटारे पर जोर
समिति ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में आरई के आंतरिक शिकायत निवारण (आईजीआर) सिस्टम के तहत प्राप्त शिकायतों की समीक्षा की गई. इसमें पाया गया कि प्रति वर्ष लगभग एक करोड़ शिकायतें हासिल हो रही थीं, जिसका तेजी से निपटारा किया जा रहा है. आरई ने यह भी सुझाव दिया कि ग्राहकों के रिस्क फैक्टर को कैटगराइज करने के लिए बारीक जांच की जानी चाहिए. इसी तरह, छात्रों से जुड़े मामलों को भी अलग से वर्गीकृत किया जा सकता है. इसके अलावा शिकायतों के निपटारे और उसके स्टेटस को चेक करने के लिए एक सिस्टम बनाया जाना चाहिए. समिति ने आरई में ग्राहक सेवा को मजबूत करने के लिए विनियामक और प्रौद्योगिकी पहलुओं को कवर करने की सिफारिश की है. इसमें बैंक, एनबीएफसी, लघु वित्त बैंक, सहकारी बैंक और भुगतान बैंक शामिल हैं.