भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक में रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 8 अगस्त को मौद्रिक नीति निर्णय की घोषणा के दौरान ये जानकारी दी. लिहाजा रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर बना रहेगा, इससे ईएमआई का बोझ नहीं बढ़ेगा. यह लगातार 9वीं बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट जस का तस रखा है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एमपीसी के 6 सदस्यों में से 4 ने रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, साथ ही एमएसएफ और बैंक दर को भी 6.75% पर रखा है. आरबीआई ने यह निर्णय महंगाई दर और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया है. इससे घरेलू ऋण दरों में कोई बदलाव नहीं होगा. बता दें MPC बैठक की शुरुआत 6 अगस्त से हुई थी, जो 8 अगस्त तक चली.
उपभोक्ता महंगाई पर होगी नजर
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता महंगाई की स्थिति पर कड़ी नज़र रखना जारी रखेगा. यह मुद्रास्फीति आरबीआई की मौद्रिक नीति के रुख को प्रभावित करने का कारण बन सकता है. कोर महंगाई दर नियंत्रित होने और कमोडिटी की कीमतों खासतौर पर धातुओं की कीमत में 15-20 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद, खाद्य महंगाई सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई है. आरबीआई महंगाई दर को 4 प्रतिशत पर रखना चाहता है, हालांकि जानकारों का मानना है कि बढ़ते फूड इंफ्लेशन के चलते ऐसा करना काफी मुश्किल होगा. तब तक रेपो रेट में बदलाव होना भी असंभव है. आरबीआई गवर्नर ने यह भी बताया कि जुलाई में भी खाद्य पदार्थों की कीमतें ऊंची बनी रहेंगी. दक्षिण-पश्चिम मानसून में तेजी आने के बाद से खाद्य पदार्थों की महंगाई में कुछ हद तक राहत मिलने की उम्मीद है.
चुनौतियों भरा है मिड टर्म
आरबीआई गवर्नर ने वैश्विक वित्तीय स्थितियों और बाजार की अस्थिरता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कई केंद्रीय बैंक नीतिगत बदलावों की ओर बढ़ रहे हैं. इसका भविष्य का रुख सकारात्मक है, लेकिन मिड टर्म में वैश्विक विकास के लिए इसमें कई चुनौतियां हैं.