रेट कट को लेकर चल रही अटकलों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि आरबीआई महंगाई दर को 4 फीसद पर लाने की कोशिश कर रही है, फिलहाल रेट कट पर विचार नहीं किया जा रहा है. उन्होंने ये बात एक इंटरव्यू में कही. उन्होंने यह भी बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद महंगाई दर 7.8 फीसद के उच्चतम स्तर से लगातार कम हुई है और यह हमारे लक्ष्य सीमा पर आ रही है, लेकिन इसे और कम करना है.
दास ने कहा कि जब तक हम स्थायी आधार पर 4 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाते, तब तक दरों में कटौती के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी. साल 2024-25 में औसत महंगाई दर उतार-चढ़ाव के साथ 4.5 प्रतिशत होने की संभावना है. दिसंबर की मौद्रिक नीति में आरबीआई ने औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में महंगाई दर को 2024-25 की दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत तक आने की संभावना जताई है. जबकि इसने चालू वित्तीय वर्ष के लिए पूर्वानुमान को बरकरार रखा है और रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है.
क्या है आरबीआई का अनुमान?
आरबीआई के अनुसार सीपीआई महंगाई 2023-24 के लिए 5.4 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि चौथी तिमाही में इसके 5.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. इसके अलावा, अगले साल सामान्य मानसून को मानकर 2024 -25 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 4.0 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 4.7 प्रतिशत पर रहने की संभावना है. बता दें बीते दिसंबर में भारत की प्रमुख खुदरा महंगाई दर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.69 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. वहीं नवंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई दर 5.55 प्रतिशत थी.
महंगाई कम करने की कोशिश
उच्च महंगाई दर से लड़ने के लिए आरबीआई ने मई 2022 से पिछले साल अप्रैल से पहले रेपो दर में 250 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है. दिसंबर 2023 में मौद्रिक नीति में आरबीआई ने लगातार पांचवीं बार रेपो दर में कोई फेरबदल नहीं किया. आरबीआई कहा कहना है कि निवेश मांग में सुधार हुआ है और लगातार व्यापार और उपभोक्ता बेहतर घरेलू आर्थिक गतिविधि का समर्थन करेंगे, जिससे आपूर्ति की दिक्कतें दूर होंगी. इससे महंगाई कम होने की उम्मीद है.
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