भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर एमके जैन ने कहा कि शेयर होल्डर से ज्यादा जरूरी बैंकों के लिए डिपॉजिटर यानी जमाकर्ता हैं. जैन ने बैंक बोर्ड से कहा बैकिंग क्षेत्र के जोखिमों का ध्यान रखें और तरीके अपनाएं जिससे ये जोखिम खत्म किया जा सके. RBI की ओर से आयोजित की गई डायरेक्टर ऑफ बैंक्स कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यह बात कही. ऐसा पहली बार था जब RBI ने पब्लिक और प्राइवेट बैंक के बोर्ड को किसी कॉन्फ्रेंस में संबोधित किया हो.
जैन का कहना है कि बैंकों को शेयरहोल्डर से सिर्फ 3-4 फीसद का ही फंड मिलता है, जबकि उनकी कमाई का ज्यादा हिस्सा जमाकर्ताओं की तरफ से आता है. बैंकों को चलाने के लिए जो पूंजी मिलती है वह जमाकर्ताओं की पूंजी होती है न कि शेयर होल्डर का पैसा. बैंक इस पैसे को कई जगह निवेश करते हैं जिससे जोखिम और भी बढ़ जाता है. इसलिए बैंकों को जमाकर्ता के हितों को पहली वरियता देनी होगी.
क्यों दिया यह बयान? तमाम सर्विलांस सिस्टम होने के बाद भी बीते दिनों पश्चिमी देशों में बैंक डूब गए. दुनियाभर के स्टार्टअप्स को कर्ज देने वाला अमेरिका का Silicon Valley Bank डूब गया. दूसरों को रेटिंग देने वाला 166 साल पुराना क्रेडिट सुइस बैंक भी डूबने के कगार पहुंच गया, जिसे बाद में UBS ने खरीद कर बचाया है. कई कोशिशों के बाद भी पता नहीं लग पाया कि इन बैंको में हुआ क्या. RBI को डर है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली में इस तरह का संकट न आ जाए. हाल ही में RBI ने बैंकों को चेताया भी था. रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि RBI की तरफ से बार-बार कहे जाने के बावजूद कुछ बैंक अपने फंसे कर्ज (NPA) के बारे में जानकारी को छिपा रहे हैं. RBI गवर्नर ने कुछ बैंकों में कार्पोरेट गवर्नेंस को लेकर भी सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा कि बैंक प्रबंधन और बोर्ड को सुनिश्चित करना होगा कि कार्पोरेट गवर्नेंस से जुड़ी खामियों में बढ़ोतरी न हो.
बरकरार रहे भरोसा बैंकों को चलाने के लिए जो पूंजी मिलती है वो जमाकर्ताओं की पूंजी होती है. ऐसे में RBI चाहता है कि भारतीय बैंकों पर जमाकर्ताओं का भरोसा बना रहे. RBI की एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय बैंकों के पास कुल 181.14 लाख करोड़ रुपए का जमा है. यही जमा आगे बैंकों की कमाई का आधार बनता है.
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