Pulses Import: भारत में दालों की मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. मोजाम्बिक, मालावी और म्यांमार से दालों का आयात का समझौता करने के बाद सरकार ने अब अर्जेंटीना और ब्राजील से संपर्क किया है. उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने हाल ही में दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना में दाल की खेती के लिए भारत में अर्जेंटीना के राजदूत ह्यूगो जेवियर गोब्बी के साथ चर्चा की है. ब्राजील के कृषि मंत्रालय के अधिकारियों की हाल की यात्रा में भी भारत ने ब्राजील के अधिकारियों से इस तरह के सौदे की संभावना तलाशने का आग्रह किया है.
अधिकारियों ने कहा है कि सरकार का लक्ष्य कुछ देशों से दालों की किस्मों की आयात निर्भरता को कम करना है. एक अधिकारी ने कहा कि दक्षिण अमेरिकी देशों में दालों की घरेलू खपत कम है, जबकि अनुकूल मौसम की स्थिति के कारण उड़द और अरहर जैसी दालें इन देशों में उगाई जा सकती हैं और भारत में निर्यात के उद्देश्य से वहां इनकी खेती किए जाने की संभावना है.
नए विकल्प की तलाश में भारत
भारत ने इस साल 2.28 मिलियन टन दालों का आयात कर लिया है. इसमें 1.08 मिलियन टन मसूर, 0.77 मिलियन टन तुअर, 0.42 मिलियन टन उड़द शामिल है. इसमें से ज्यादातर आयात ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, म्यांमार, मोजाम्बिक, तंजानिया, सूडान और मलावी से किया गया है. ब्राजील में बीन्स की तीन किस्म ब्लैक, कोपिया और मुंगो का सालाना 3 मिलियन टन उत्पादन होता है, जिससे घरेलू मांग पूरी करने के साथ ही वियतनाम, पाकिस्तान और इजिप्ट को निर्यात भी किया जाता है. भारत घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए इथियोपिया और तंजानिया में दलहन खासकर तुअर और उड़द की खेती की संभावना भी तलाश रहा है.