टेलीकॉम कंपनियों के साथ OTT ऐप्स का मुनाफा साझा नहीं किया जाएगा. दरअसल टेलीकॉम कंपनियां काफी समय से OTT ऐप्स को होने वाले मुनाफे में हिस्सा मांग रही हैं. हालांकि केंद्र सरकार फिलहाल इस बारे में कोई योजना नहीं बना रही है. संचार मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया है कि केंद्र सरकार ओवर-द-टॉप (ओटीटी) ऐप्स और टेलीकॉम सेवा देने वालों के बीच ऐप्स के परिवहन के लिए टेलीकॉम नेटवर्क का उपयोग करने के लिए राजस्व साझा करने वाले मॉडल को सक्षम करने पर विचार नहीं कर रही है. अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ”दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और ओटीटी के बीच राजस्व साझाकरण मैक्निजम बनाने पर किसी तरह का विचार नहीं किया जा रहा है.
टेलिकॉम कंपनियों का बढ़ा खर्च
अधिकारी ने उन रिपोर्ट्स का खंडन किया है जिसमें कहा गया था कि सरकार इस तरह के तंत्र पर काम कर रही है. कुछ समय से, दूरसंचार कंपनियां ओटीटी प्लेटफार्मों के राजस्व में हिस्सेदारी की मांग कर रही हैं. कंपनियों का कहना है कि कुछ स्ट्रीमिंग ऐप्स ने हैवी बैंडविड्थ सेवाओं की पेशकश शुरू कर दी है और इससे वे उच्च ट्रैफ़िक उत्पन्न कर रहे हैं. यह दूरसंचार कंपनियों को अपने नेटवर्क की क्षमता को बढ़ाने और अपग्रेड के लिए मजबूर कर रहा है जिससे उनकी लागत बढ़ रही है. इसलिए टेलिकॉम कंपनियां कंपनियां खर्चों के लिए ओटीटी से राजस्व में हिस्सेदारी मांग रही हैं
साझा किया उचित हिस्सा
टेलीकॉम कंपनियों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने तर्क दिया है कि बड़े ओटीटी प्लेयर्स उपभोक्ताओं के साथ-साथ विज्ञापन देने वालों से भी कमाते हैं. इसलिए एसोसिएशन ने सुझाव दिया है कि राजस्व का ‘उचित हिस्सा’ उन टेलीकॉम कंपनियों के साथ साझा किया जाना चाहिए जो कंटेंट के लिए कैरिज शुल्क से कमाई नहीं करते हैं.
IAMAI ने बताया अनुचित
इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) द्वारा प्रस्तुत ओटीटी प्लेटफार्मों ने मांगों को अनुचित बताते हुए इस कदम का विरोध किया है और तर्क दिया है कि इस तरह के कदम से 2018 में संचार मंत्रालय द्वारा घोषित नेट न्यूट्रेलिटी नियमों को नुकसान होगा.