चालू वित्त वर्ष 2023-24 के 5 महीने शेष बचे हैं और ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी MGNREGA कार्यक्रम के लिए बजट का केवल 4 फीसद ही उपलब्ध है. एक नागरिक समाज समूह की ओर से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर यह बात कही गई है. नरेगा संघर्ष मोर्चा द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गए आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इस वर्ष के लिए योजना के बजट के तहत 4 अक्टूबर को 2,456 करोड़ रुपये उपलब्ध थे.
वेतन, सामान और प्रशासनिक खर्च सहित कुल लंबित बकाया 17,364 करोड़ रुपये से अधिक है. योजना के अनुसार, केंद्र की ओर से वेतन और प्रशासनिक खर्च का पूरा बोझ वहन करता है, जबकि सामग्री के तहत व्यय केंद्र और राज्य (75:25) द्वारा साझा किया जाता है. आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल, जिसे पिछले दो वर्षों से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और प्रधान मंत्री आवास योजना (PMAY) का बकाया नहीं मिला है, का 4,106 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान लंबित है.
राजस्थान का 2,970 करोड़ रुपये, बिहार का 1,054 करोड़ रुपये, कर्नाटक का 968 करोड़ रुपये बकाया हैं. हालांकि, योजना के लिए आवंटित बजट का केवल 2,465 करोड़ रुपये ही उपलब्ध है, जिसमें कई राज्यों का संतुलन नकारात्मक है. नरेगा संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने कहा कि बजट की कमी से योजना के तहत काम की उपलब्धता प्रभावित होगी.
मोर्चा ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष में 5 महीने शेष रहते हुए, इस वर्ष के बजट का केवल 4 फीसद ही बचा है. MGNREGA का काम जल्द ही मिलना बंद हो जाएगा क्योंकि अधिकांश राज्यों में नकारात्मक संतुलन चल रहा है.’’ लिबटेक इंडिया के एक शोधकर्ता लावण्या तमांग ने कहा, ‘केंद्र का कहना है कि MGNREGA एक मांग आधारित योजना है, लेकिन हमने अतीत में देखा है कि जब भी पैसा खत्म होता है, तो कार्य आवंटन में मंदी आती है.’
चालू वित्त वर्ष में MGNREGA के लिए बजट आवंटन 60,000 करोड़ रुपये था. यह पिछले साल के संशोधित बजट 89,000 करोड़ रुपये से 29,000 करोड़ रुपये कम है. इस साल की शुरुआत में ग्रामीण विकास मंत्रालय से संबंधित संसद की एक स्थायी समिति ने भी MGNREGA बजट में कटौती की चिंता जताई थी. पैनल ने एक रिपोर्ट में कहा था कि ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 98,000 करोड़ रुपये की प्रस्तावित मांग के मुकाबले मनरेगा को 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा था कि अतिरिक्त कोष की जरूरत होने पर वित्त मंत्रालय से इसे उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जाता है. लोकसभा में मानसून सत्र के दौरान एक लिखित जवाब में वित्त राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष में चार अगस्त तक वित्त मंत्रालय से कोई अतिरिक्त धनराशि नहीं मांगी गई है. पिछले तीन वित्त वर्षों में मनरेगा के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय को जारी की गई धनराशि प्रारंभिक आवंटन से काफी अधिक रही है. नरेगा संघर्ष मोर्चा देश भर में नरेगा श्रमिकों सहित ग्रामीण मजदूरों के साथ काम करने वाले लगभग 40 संगठनों और यूनियनों का एक गठबंधन है.
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