सस्ती होने वाली हैं कई दवाएं

एनपीपीए ने 53 दवाओं की कीमत पर लगाई कैपिंग

सस्ती होने वाली हैं कई दवाएं

फोटो साभार: TV9 भारतवर्ष

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नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी यानी NPPA ने 53 दवाओं की कीमत पर कैपिंग लगा दी है. जिस वजह से इनमें कई दवाएं सस्ती हो जाएंगी. खासकर डायबिटीज और एंग्जायटी से जुड़ी दवाएं सस्ती होने जा रही हैं. इस सिलसिले में NPPA ने पिछले हफ्ते अधिसूचना जारी कर दी है.

एनपीपीए ने जिन 53 दवाओं की कीमतों में बदलाव किया है जिन दवाओं की कीमत में बदलाव किया है, उनमें डायबिटीज, एंग्जायटी और गठिया की दवाएं और इंजेक्शन शामिल हैं. अथॉरिटी की 114वीं बैठक में लिए गए फैसलों के आधार पर दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के तहत ये खुदरा कीमतें तय की गई हैं.

किन दवाओं के तय हुए दाम?
NPPA के नोटिफिकेशन के मुताबिक टाइप 2 डायबिटीज के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा लिनाग्लिप्टीन/मेटफोर्मिन हाइड्रोक्लोराइड की अधिकतम कीमत तय कर दी गई हैं. इसकी प्रति टेबलेट 9.60 रुपए अधिकतम कीमत तय की गई है, जबकि डापाग्लिलोजिन, सीटाग्लिप्टिन और मेटफॉर्मिन हाइड्रो क्लोराइड की अधिकतम कीमत 20.67 रुपए होगी. अवसाद के उपचार में इस्तेमाल किए जाने वाले पैरोक्सटाइन +क्लोनाज़ेपम कैप्सूल की कीमत में भी बदलाव किया गया है. इसकी प्रति कैप्सूल कीमत 15.81 रुपए हो गई है. वहीं गठिया के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली एंटी-इंलमेटरी दवा एटोरिकॉक्सिब+पैरासिटामोल की कीमत 8.99 रुपए होगी.

इस बीच, दर्द और बुखार में इस्तेमाल की जाने वाली एटोरिकॉक्सीब और पेरासिटामोल टैबलेट की कीमत 8.99 रुपए प्रति टैबलेट निर्धारित की गई है. वहीं डायरिया, उल्टी, गर्मी की थकावट और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन से निजात दिलाने में प्रयोग किए जाने वाले जिंक सल्फेट + मोनोहाइड्रेट + सोडियम साइट्रेट + पोटेशियम क्लोराइड + सोडियम क्लोराइड + डेक्सट्रोज + एनहाइड्रस सैशे जिसका वजन 4.4 ग्राम होगा उसके लिए 6.12 रुपए तय किए गए हैं.

राष्ट्रीय औषधि मूल्य-निर्धारण प्राधिकरण के नोटिफिकेशन में साफ़ कहा गया है कि दवा बनाने वाली कंपनियां सरकार की ओर से तय की गई इसी कीमत पर अपनी दवाओं को बेचेंगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर दवा निर्माता आदेश का उल्लंघन करते पाए गए तो उन्हें अधिक वसूली गई रकम केंद्र के पास जमा करानी पड़ सकती है. बता दें एनपीपीए औषधि आदेश (DPCO) 2013 के तहत अनुसूची एक में शामिल आवश्यक दवाओं का अधिकतम मूल्य तय करता है, जो दवाएं मूल्य नियंत्रण के तहत नहीं आती हैं. इनके निर्माताओं को सालाना दस फीसदी खुदरा मूल्य बढ़ाने की अनुमति है.

Published - July 3, 2023, 03:55 IST