देश में अब एक फार्म्युलेशन की दवाओं के लिए जल्द एक ही भाव हो सकता है. देश का दवा रेग्युलेटर नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) सभी दवा कंपनियों को इस संबंध में आदेश जारी करने की तैयारी कर रहा है. यानी अलग-अलग ब्रांड के तहत अगर किसी एक फार्म्युलेशन की दवा बिकेगी तो उसका एक भी भाव होगा.
नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने ड्रग्स प्राइसेज कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) 2013 के पैरा 19 के तहत एक ही कंपनी के अलग-अलग ब्रांड नाम से बनने वाली एक जैसी दवाओं का अधिकतम मूल्य की गणना करने के लिए एक अलग फॉर्मूला तय किया है. इस फॉर्मूला के तहत जिस फार्मा कंपनी में किसी साल्ट की दवा सबसे सस्ती होगी बाकी कंपनियां भी उसी साल्ट की दवा के दाम उससे ज्यादा नहीं रख पाएंगी. जनहित में इस पैरा के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए NPPA ने इससे पहले स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण की कीमतों को कम किया था. इसके अलावा भी कई बार दवाओं के दाम भी कम किए गए हैं.
NPPA ने हाल में इस संबंध में एक बैठक की थी. इसमें कीमतों में बदलाव के मुद्दे पर विचार-विमर्श के बाद इसका समाधान करने का निर्णय लिया गया. इस दौरान कहा गया कि एक कंपनी एक ही फॉर्मुलेशन दवाएं अलग-अलग ब्रांड नाम से बनाती हैं. इसमें लागत के ऊपर अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा जुड़ा होता है. ऐसे में कई दवाएं आम आदमी की पहुंच से परे हैं और उन पर वित्तीय बोझ गरीबी का कारण बन रही हैं. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने भी अपनी 2021 की रिपोर्ट में एक ही फॉर्मुलेशन की दवाओं के अलग-अलग ब्रांड में कीमतों का बड़ा अंतर पाया था.
आम लोगों को मिलेगी राहत
एनपीपीए के अनुसार दवाओं पर स्थायी राष्ट्रीय समिति (SNCM) की हाल में आई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि स्वास्थ्य पर होने वाले 60 फ़ीसदी ज़रूरत से ज्यादा खर्च में 40 फीसदी खर्च दवाओं पर होता है. समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सबसे ज्यादा ज़रूरी है कि घरों पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए दवाओं की पहुंच और सामर्थ्य को बढ़ाया जाए. ऐसे में अगर इस दिशा में ये पहल अमल में आती है तो आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी.