अगर आप भी ईकॉमर्स वेबसाइट पर खरीदारी के लिए क्रेडिट या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. तो आपके लिए जरूरी खबर है. रिजर्व बैंक पिछले साल शुरू की गई कार्ड टोकेनाइजेशन की व्यवस्था में बदलाव करने जा रहा है. रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कार्ड जारीकर्ता बैंक के स्तर पर कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन की व्यवस्था शुरू करने की घोषणा की है.
कार्ड टोकनाइजेशन डेबिट या क्रेडिट कार्ड से किए जाने वाले ऑनलाइन पेमेंट को सुरक्षित बनाता है. यहां आपको अपने कार्ड की डिटेल मर्चेंट साइट पर हर बार फीड नहीं करनी पड़ती है. इसकी जगह मर्चेंट सिर्फ एक बार आपके कार्ड की डिटेल्स लेता है. और इसके बदले आपको एक यूनिक कोड देता है. जिसे टोकन कहते हैं. और इस व्यवस्था को टोकनाइजेशन कहा जाता है. हर बार कार्ड से ट्रांजेक्शन करते समय आपको उसका नंबर, सीवीवी व एक्सपायरी डेट जैसी जानकारी दर्ज नहीं करनी होगी. कस्मटर्म से टोकनाइजेशन के लिए कोई चार्ज नहीं लिया जाता है.
कार्ड की डिटेल मर्चेंट के पास सेव होने से ग्राहक की सुरक्षा हमेशा दांव पर रहती है. दुनिया भर में बढ़ रही हैकिंग की घटनाओं के चलते रिजर्व बैंक इसे लेकर काफी चिंतित भी है. यही ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने सितंबर 2021 में कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन यानि सीओएफटी की शुरुआत की थी. 1 अक्टूबर, 2022 से इसे लागू करना शुरू किया था.
आइए जानते हैं कि रिजर्व बैंक ने अब इस प्रक्रिया में क्या बदलाव किया है. कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन की व्यवस्था अभी तक जारी टोकेनाइजेशन से थोड़ी अलग है. अब क्रेडिट या डेबिट कार्ड को जारी करने वाले बैंक के स्तर पर टोकन जारी किए जाएंगे. जबकि अभी तक कार्ड-ऑन-फ़ाइल यानि सीओएफ टोकन. केवल मर्चेंट एप्लिकेशन या ई-कॉमर्स वेबसाइट के वेबपेज पर ही बनाए जा सकते हैं.
ग्राहकों के लिए कार्ड डेटा का टोकनाइजेशन काफी फायदेमंद है. यही कारण है कि लोगों के बीच इसका रुझान बढ़ रहा है. हालांकि अभी भी सभी कार्ड यूजर्स ने टोकन प्राप्त करने में उत्साह नहीं दिखाया है. रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार बीते एक साल में 56 करोड़ से अधिक टोकन बनाए गए हैं. इन टोकन की मदद से 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन हुए हैं. शक्तिकांत दास की मानें तो यह देश के फाइनेंशियल सेक्टर के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है.
नई व्यवस्था में अब सीधे कार्ड को जारी करने वाला बैंक अपने स्तर पर कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन की सुविधा प्रदान करेगा. जिससे टोकनाइजेशन की रफ्तार में तेजी देखी जा सकती है. साथ ही फाइनेंशियल फ्रॉड पर भी लगाम लगाई जा सकेगी.
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