तुअर और उड़द की कीमतों में आई बढ़ोतरी की वजह से चने की कीमतों में मजबूती का रुझान देखने को मिल रहा है. जुलाई की शुरुआत से चने का भाव करीब 20 फीसद बढ़ गया है. हालांकि कारोबारियों का कहना है कि सरकार के तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक देश में रिकॉर्ड 135.43 लाख टन चने का उत्पादन होने का अनुमान है, ऐसे में चने की कीमतों में आई मौजूदा तेजी असामान्य है. उनका कहना है कि चने का भाव जून के अंत तक न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,335 रुपए प्रति क्विंटल के नीचे कारोबार कर रहा था, लेकिन अभी भाव बहुत सी मंडियों में एमएसपी के आस-पास पहुंच गया है.
10 फीसद बढ़ गया चना दाल का दाम
वहीं अगर चना दाल की बात करें बीते एक महीने में चना दाल की कीमतों में 10 फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 21 जुलाई को राजधानी दिल्ली में चना दाल का भाव 72 रुपए प्रति किलोग्राम था, जो कि 21 अगस्त को बढ़कर 80 रुपए प्रति किलोग्राम हो गया है.
इंडिया पल्सेज एंड ग्रेन एसोसिएशन (आईपीजीए) चेयरमैन बिमल कोठारी के मुताबिक 30 जून को इंदौर में चने (बंगाल चना) का मॉडल प्राइस 4,785 रुपए प्रति क्विंटल था, जो कि 4 अगस्त को उछलकर 7,765 रुपए की ऊंचाई पर पहुंच गया था. हालांकि भाव ऊपरी स्तर से खिसककर 17 अगस्त को 5,595 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया. उनका कहना है कि तुअर और उड़द की कमी का असर दूसरे दलहन पर भी पड़ रहा है.
कोठारी का कहना है कि सरकार के रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान के बावजूद हाल के दिनों में चने की कीमतों में 6 रुपए से 7 रुपए प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हो गई है. मसूर का दाम भी 2 से 3 रुपए प्रति किलो महंगा हो गया है. कुल मिलाकर सभी दालों की कीमतों में इजाफा हो गया है. उनका कहना है कि अगर उत्पादन के आंकड़े सही है तो कीमतों में तेजी क्यों है. उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री ने पहले ही संकेत दिया था कि पिछले साल की तुलना में चने का उत्पादन कम है. नैफेड ने रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 के दौरान 23.5 लाख टन चने की खरीद की थी. इसके अलावा उसके पिछला बकाया स्टॉक 14 लाख टन था.