देश में गेहूं की कीमतों को कम करने के लिए इसके आयात पर टैक्स घटाने की फिलहाल सरकार की कोई योजना नहीं है. रिपोर्ट में उपभोक्ता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि सरकार जरूरत पड़ने पर गेहूं पर स्टॉक लिमिट को और सख्त कर सकती है और साथ में अपने स्टॉक से खुले बाजार में गेहूं भी जारी कर सकती है, लेकिन इंपोर्ट पर टैक्स घटाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है. देश में गेहूं इंपोर्ट पर फिलहाल 44 फीसद टैक्स लगता है. गुरुवार को ही सरकार ने गेहूं कारोबारियों के लिए स्टॉक लिमिट को 3,000 टन से घटाकर 2,000 टन किया है.
क्यों महंगा पड़ रहा है विदेशी गेहूं?
ग्लोबल मार्केट में गेहूं का भाव जिस स्तर पर है, उस पर अगर 44 फीसद एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाकर भारत में आयात होता है तो भारत में पहुंचने पर उसका भाव घरेलू भाव से कहीं ज्यादा होगा. गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक देश रूस में 8 सितंबर को भाव 250 डॉलर प्रति टन था, रूस से भारत गेहूं लाने पर 20-25 डॉलर मालभाड़ा भी लगेगा और उसपर अगर 44 फीसद इंपोर्ट टैक्स लगाया जाए तो भारत में पहुंचने पर गेहूं का भाव 395 डॉलर प्रति टन के करीब होगा, भारतीय करेंसी में कहा जाए तो भाव बढ़कर 32-33 हजार रुपए प्रति टन होगा. जबकि दिल्ली में भाव 25,650 रुपए प्रति टन है.
खुले बाजार में करीब 50 लाख टन गेहूं बिक्री का लक्ष्य
सरकार ने इस साल खुले बाजार में अपने स्टॉक से करीब 50 लाख टन गेहूं बेचने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है, जिसमें अबतक करीब 10 लाख टन गेहूं बाजार में जारी किया जा चुका है. हालांकि सरकार की तरफ से खुले बाजार में गेहूं जारी किए जाने के बावजूद इसकी कीमतें कम नहीं हुई हैं. गेहूं का भाव इसके समर्थन मूल्य के मुकाबले 500 रुपए ऊपर चल रहा है. सरकार ने गेहूं के लिए 2,125 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया हुआ है जबकि बाजार भाव 2,500 रुपए से 2,600 रुपए के बीच है.
सरकार के पास खुले बाजार में गेहूं जारी करने के लिए स्टॉक भी सीमित है, पहली सितंबर तक केंद्रीय पूल में 260.37 लाख टन गेहूं का स्टॉक दर्ज किया गया है. इस स्टॉक में से अगले साल मार्च तक हर महीने 20 लाख टन से ज्यादा गेहूं की जरूरत राशन और सैन्य सप्लाई के लिए पड़ेगी. साथ में मार्च अंत तक रणनीतिक और ऑपरेशनल जरूरत के लिए 75 लाख टन गेहूं का रिजर्व होना भी जरुरी है. यानी इन्हीं जरूरतों के लिए 200 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खपत हो जाएगी. बाकी गेहूं का इस्तेमाल सरकार खुले बाजार में बेचने के लिए कर सकती है.