'रबड़ पर आयात शुल्क में कटौती पर विचार नहीं'

रबड़ का उत्पादन 2022-23 में 8.39 लाख टन था, उस वित्त वर्ष में खपत 13.5 लाख टन थी.

'रबड़ पर आयात शुल्क में कटौती पर विचार नहीं'

सरकार फिलहाल रबड़ पर आयात शुल्क में कटौती पर विचार नहीं कर रही है क्योंकि स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय कीमतों के बीच अंतर अब भी बरकरार है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है. वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने कहा कि स्थानीय उत्पादन की तुलना में हम जो आयात प्राप्त कर रहे हैं, उसके लिए हमने पहले से ही एक अंतर बनाए रखा है. उन्होंने कहा कि यदि आप स्थानीय कीमत की अंतरराष्ट्रीय मूल्य से तुलना करें…तो उस आयात शुल्क के कारण ही अंतर बना हुआ है. इसलिए मुझे नहीं लगता कि अभी आयात शुल्क कम करने पर कोई पुनर्विचार किया जा रहा है.

उद्योग के घरेलू उपयोगकर्ता की शुल्कों में कटौती की मांग और स्थानीय उत्पादकों की किसी भी शुल्क कटौती के खिलाफ मांग के बारे में किए सवाल पर उन्होंने यह बात कही. टायर विनिर्माता इस वस्तु के प्रमुख उपभोक्ताओं में से एक हैं. देश में 13 लाख से अधिक रबड़ उत्पादक हैं. उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा केरल का है. रबड़ का उत्पादन 2022-23 में 8.39 लाख टन था, उस वित्त वर्ष में खपत 13.5 लाख टन थी. यह अंतर वियतनाम, मलेशिया और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से आयात द्वारा पूरा किया जाता है.

प्राकृतिक रबड़ के आयात को विनियमित करने के लिए सरकार ने 30 अप्रैल, 2015 से सूखे रबड़ के आयात पर शुल्क 25 प्रतिशत या 30 रुपये प्रति किलोग्राम (जो भी कम हो) बढ़ा दिया था. सरकार ने अग्रिम लाइसेंसिंग योजना के तहत आयातित सूखे रबड़ के उपयोग की अवधि भी जनवरी, 2015 से 18 महीने से घटाकर छह महीने कर दी थी. प्राकृतिक रबड़ के आयात के लिए बंदरगाह में प्रवेश जनवरी 2016 से चेन्नई और न्हावा शेवा (जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह) के बंदरगाहों तक सीमित कर दिया गया है. इसके अलावा, केंद्रीय बजट 2023-24 में शुल्क पर हेराफेरी को रोकने के लिए मिश्रित रबड़ पर सीमा शुल्क की दर भी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत या 30 रुपये प्रति किलोग्राम (प्राकृतिक रबड़ के बराबर) कर दी गई थी.

Published - February 19, 2024, 07:05 IST