बड़े स्टार्टअप्स की खराब होती हालत, छंटनी के खत्म न होने वाले दौर और बिजनेस मॉडल पर उठते सवालों के बीच सरकार इनके रेगुलेशन की तैयारी कर रही है. इस बीच सरकार ने अब बायजूज के बही खाते (Account books) की जांच के आदेश दे दिए हैं.
Byju’s की घटना से बढ़ी चिंताएं
बायजूज (Byju’s) के मामले ने सरकार को रेगुलेशन की दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित किया है. गौरतलब है देश के बड़े स्टार्टअप्स में शामिल बायजूज में हाल के समय एक के बाद दिक्कतें सामने आई हैं जैसे कि हजारों कर्मचारियों की छंटनी, कर्जदाताओं के साथ कानूनी लड़ाई, निवेशक द्वारा वैल्यूएशन यानी बाजार मूल्यांकन में कमी. पिछले महीने कंपनी के ऑडिटर और बोर्ड के तीन सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया था. इन सबके बाद सरकार ने अब बायजूज के बही खाते (Account books) की जांच के भी आदेश दे दिए हैं. जांच में जो भी सामने आएगा, उससे तय होगा कि मामला सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस (SFIO) के पास भेजा जाए या नहीं.
क्या है दिक्कतें?
सरकार का मानना है कि स्टार्ट्अप्स को लेकर शिकायत तंत्र जैसी व्यवस्था नहीं है और इस वजह से भी दिक्कतें पैदा हो रही हैं. कई भारतीय स्टार्टअप्स आकार में बड़े तो हो गए हैं, उनका बाजार मूल्यांकन भी पहले से बढ़ गया है और उन्होंने बड़ी मात्रा में निजी पूंजी भी जुटा ली है लेकिन उनके प्रबंधन की क्षमता को लेकर सवाल उठ रहे हैं. ये कंपनियां अपने आकार के हिसाब से अपने गवर्नेंस और अनुपालन के दायित्वों को सही से पूरा नहीं कर पा रहीं.
क्या छोटे स्टार्टअप पर भी होगा असर?
कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय उन स्टार्टअप्स के लिए एक नए रेगुलेटरी व्यवस्था की जरूरत की समीक्षा करेगा जो एक तय आकार से ज्यादा बड़े हो गए हैं. सरकार का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि इन कंपनियों का गवर्नेंस सिस्टम ज्यादा मजबूत हो और ऐसा उनके कारोबार में आसानी पर असर डाले बिना हो. यहां एक बात साफ कर देनी चाहिए, इन सबका छोटे स्टार्टअप्स पर असर नहीं होगा, यह व्यवस्था केवल बड़े स्टार्टअप्स के लिए ही होगी.