देरी से आने के बाद मानसून में अब थोड़ी सुधार देखने को मिल रहा है.मानसून ने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के ज्यादातर हिस्से को कवर कर लिया है.मौसम विभाग ने अगले दो से तीन दिन में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मानसून पहुंचने की संभावना है.ताजा आंकड़ों के मुताबिक सामान्य मानसून के मुकाबले अभी तक 31 फीसदी कम बरसात हुई है.बारिश में कमी की वजह से देशभर में धान, तिलहन, मोटे अनाज और कपास की बुआई पिछड़ गई है. धान का रकबा करीब 35 फीसद पिछड़ा हुआ है. वहीं कपास की खेती 14 फीसद पीछे है. मोटे अनाज के रकबे में भी करीब 15 फीसद की गिरावट है और तिलहन का रकबा पिछले साल के मुकाबले 3 फीसद पीछे चल रहा है. हालांकि दलहन की खेती पिछले साल से थोड़ा आगे चल रही है.
मानसून की देरी की वजह से देश के जलाशयों में पानी का स्तर घटने लगा है. केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट कहती है कि इस साल जलाशयों में पानी का स्तर पिछले साल के मुकाबले करीब 8 फीसद कम है. पानी के स्तर में अगर सुधार नहीं हुआ तो भविष्य में इसकी वजह से पीने के पानी का संकट हो सकता है और साथ में आगे चलकर रबी सीजन की बुआई भी प्रभावित हो सकती है.
6 से 8 जून को हुई मॉनटेरी पॉलिसी कमेटी की बैठक के मिनट गुरुवार को जारी हुए. एमपीसी के सभी सदस्यों का मानाना है कि दक्षिण पश्चिम मानसून भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाला अहम कारक होगा. रिजर्व बैंक गवर्नर का कहना है कि अलनीनो की छाया में मानसून की प्रगति पर नजर रखने की जरुरत है. इसका असर खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर हो सकता है. रिजर्व बैंक गर्वनर शक्तिकांत दास का यह भी कहना है कि महंगाई को काबू करने का काम अभी आधा ही हुआ है.