महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत पिछले दो वित्तीय वर्षों – 2021-22 और 2022-23 में ‘फर्जी जॉब कार्ड’ होने के चलते 10 लाख से अधिक जॉब कार्ड निरस्त कर दिए गए हैं. सरकार ने लोकसभा में इसकी जानकारी दी है. एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा,’जॉब कार्ड निरस्त करना /अपडेशन एक सतत प्रक्रिया है और यह लगातार किया जा रहा है. मनरेगा अधिनियम की धारा 25 के अनुसार, जो कोई भी इस योजना के अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा, उसके दोषी पाए जाने पर एक हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जाएगा. इसके अलावा, फर्जी जॉब कार्ड जारी करने से रोकने के लिए लाभार्थियों के डेटा बेस के डुप्लीकेशन के लिए आधार सीडिंग भी अनिवार्य कर दी गई है.
यूपी में सबसे ज्यादा कार्ड हुए निरस्त
सरकार द्वारा सदन में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 के दौरान NREGS के ‘फर्जी जॉब कार्ड’ के कारण 3.06 लाख जॉब कार्ड रद्द कर दिए गए, जबकि 2022-23 के दौरान 7.43 लाख जॉब कार्ड रद्द कर दिए गए. उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक संख्या में फर्जी जॉब कार्ड रद्द किए गए हैं. 2021-22 में 67,937 और 2022-23 में 2.96 लाख कार्ड रद्द कर दिए गए. दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश है जहां 2021-22 में 50,817 फर्जी जॉब कार्ड और 2022-23 में 1.14 लाख कार्ड रद्द किए गए. ग्रामीण विकास राज्य मंत्री के जवाब के अनुसार, 2021-22 के दौरान पश्चिम बंगाल में केवल 388 फर्जी जॉब कार्ड हटाए गए हैं, जबकि 2022-23 में इसका आंकड़ा 5,263 था.
सरकार ने जारी किया अतिरिक्त फंड
मनरेगा के तहत देश के ग्रामीण इलाके में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये की एडवांस राशि जारी की है. यह फंड 60,000 करोड़ रुपये के बजट आवंटन के अतिरिक्त जारी की गई है. ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने मंगलवार को संसद को मनरेगा पर पूछे गए सवाल के जवाब में बताया कि केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 में 29 नवंबर, 2023 तक 66,629 करोड़ रुपये का फंड सरकार ने मनरेगा के तहत जारी किया है.