MNREGA: बजट के बाद केंद्र में आने वाली सरकार 2024-25 के पूर्ण बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के आवंटन में 5,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी कर सकती है. ग्रामीण इलाकों में ज्यादा घर बनने की वजह से काम की मांग में बढ़ोतरी की उम्मीद है. अप्रैल के महीने में इस योजना के तहत मांग में कमी दर्ज की गई थी. अप्रैल के दौरान भारतीय परिवारों द्वारा मनरेगा के तहत काम की मांग में सालाना आधार पर 10 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. 2024-25 के अंतरिम बजट में MGNREGS के लिए आवंटन 86,000 करोड़ रुपए था. 2023-24 के संशोधित अनुमान में भी मनरेगा का आवंटन समान था.
5 साल में 2 करोड़ और घर बनाने का लक्ष्य
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि हमें आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर काम की मांग में बढ़ोतरी का अनुमान है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के तहत सरकार ने अगले पांच साल में 2 करोड़ और घर बनाने का लक्ष्य बनाया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने अंतरिम बजट भाषण में परिवारों की संख्या में बढ़ोतरी से उत्पन्न होने वाली जरूरत को पूरा करने के लिए अगले 5 साल में 2 करोड़ और घर बनाए जाने का ऐलान किया था.
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि मनरेगा एक मांग पर आधारित कार्यक्रम है. ऐसे में जरूरत के हिसाब से धन का आवंटन किया जाएगा. बता दें कि मनरेगा का लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में प्रत्येक परिवार को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिन की रोजगार की गारंटी देना है. गौरतलब है कि सरकार ने 1 जनवरी 2024 से वेतन के भुगतान के लिए आधार आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) को अनिवार्य कर दिया है. एबीपीएस के तहत एक श्रमिक का आधार उसके MGNREGS जॉब कार्ड और बैंक अकाउंट से जुड़ा हुआ है. मार्च 2022 तक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) की वजह से डुप्लिकेट, नकली/गैर-मौजूद और अयोग्य लाभार्थियों के हटने की वजह से सरकार को मजदूरी पर अनुमानित 10 फीसद की बचत हुई है.