देश में पर्सनल लोन लेने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सेक्टोरल बैंक क्रेडिट पर आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों के कर्ज में सबसे बड़ा हिस्सा पर्सनल लोन का है. बैंक की तरफ से बांटे गए कुल कर्ज में 32.1 फीसद हिस्सा पर्सनल लोन का है. RBI की मॉनिट्री पॉलिसी रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि देश में समय के साथ बैंक कर्ज की संरचना में काफी बदलाव हो रहा है. अब बैंक कर्ज में सबसे बड़ा हिस्सा रिटेल और सर्विस लोन का है जबकि इससे पहले तक बैंकों के कर्ज में सबसे ज्यादा हिस्सा इन्डस्ट्री लोन का होता था.
व्यक्तिगत ऋण अब बैंक ऋण का सबसे बड़ा घटक है (बकाया ऋण का 32.1 प्रतिशत), इसके बाद सेवाएँ (28.4 प्रतिशत), उद्योग (26.2 प्रतिशत) और कृषि (13.3 प्रतिशत) हैं. मार्च 2023 तक के सेक्टोरल बैंक क्रेडिट पर आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार बैंक कर्ज में 32.1 हिस्सा पर्सनल लोन, सर्विस का 28.4 फीसद और 26.2 फीसद हिस्सा उद्योग का है. 13.3 फीसद हिस्से के साथ सबसे कम हिस्सा कृषि कर्ज का है. जबकि एक दशक पहले यानि मार्च 2013 तक बैंक कर्ज में सबसे बड़ा हिस्सा उद्योग का रहता था. मार्च 2013 तक बैंक कर्ज में उद्योग कर्ज का 46 फीसद, सेवाओं का 24 फीसद, खुदरा का 18 फीसद और कृषि का 12 फीसद हिस्सा था.
पिछले दशक में बैंकों ने रिटेल लोन (आवास, वाहन, क्रेडिट कार्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले लोन) पर काफी जोर दिया है. इस वजह से बैंक के कर्ज ढ़ांचे में यह बदलाव आया है. की पृष्ठभूमि में आया है. इसके अलावा, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और ट्रेड (थोक और खुदरा) सहित गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों ने बड़े पैमाने पर कर्ज के लिए बैंकों का इस्तेमाल किया है जिससे सेवा क्षेत्र में कर्ज में वृद्धि हुई है.
कृषि क्षेत्र के लिए कर्ज में मामूली वृद्धि सरकार की ओर से कर्ज वृद्धि के लिए वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करने के मद्देनजर आई है. समग्र ऋण के भीतर उद्योग को ऋण का अनुपात कम हो सकता है क्योंकि बड़े कॉरपोरेट तेजी से वैकल्पिक फंडिंग स्रोतों जैसे बॉन्ड और बाहरी वाणिज्यिक उधार का इस्तेमाल कर रहे हैं.