तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU) का कहना है कि अगर मानसून सामान्य रहता है तो इस साल खरीफ फसल की कटाई के बाद मक्का का भाव करीब 2,300 प्रति क्विंटल रह सकता है. विश्वविद्यालय ने उडुमलपेट कृषि उपज मंडी में बीते 27 साल के मक्के की कीमतों का विश्लेषण करते हुए राज्य के किसानों को बुआई को लेकर उचित निर्णय लेने की सलाह दी थी.
वैश्विक बाजार में मक्के की मांग मजबूत
हालांकि विश्वविद्यालय के द्वारा लगाए गए भाव का पूर्वानुमान इस फसल वर्ष (जुलाई 2023-जून 2024) के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,090 प्रति क्विंटल से ज्यादा है. विश्वविद्यालय का कहना है कि कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से आवक कम होने की आशंका से मक्के का भाव बढ़ सकता है. बता दें कि अर्जेंटीना में सूखा की वजह से मक्के की बुआई कम है और रूस-युक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से यूक्रेन से सप्लाई घट गई है, जिससे वैश्विक बाजार में भारतीय मक्के की मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
पहली तिमाही में 8.42 लाख टन मक्के का एक्सपोर्ट
एपीडा के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 234 मिलियन डॉलर मूल्य के 8.42 लाख टन मक्के का एक्सपोर्ट दर्ज किया गया था. पहली तिमाही में वियतनाम, नेपाल, बांग्लादेश और मलेशिया भारतीय मक्के के सबसे बड़ी खरीदार थे. TNAU के मुताबिक म्यांमार, पाकिस्तान और भूटान ने भी भारतीय मक्के की खरीद की थी. 2022-23 फसल वर्ष में देश में मक्के का उत्पादन 35.91 मिलियन टन हुआ था. इस अवधि में देशभर में 99.5 लाख हेक्टेयर में मक्के की बुआई हुई थी.