सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने नट, बोल्ट और ‘फास्टनर’ के लिये गुणवत्ता मानदंड पेश किये हैं. इस पहल का मकसद खराब गुणवत्ता वाले उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाना और घरेलू स्तर पर इनके विनिर्माण को बढ़ावा देना है. उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने 21 जुलाई को इस संबंध में अधिसूचना जारी की है.
अधिसूचना में कहा गया है कि नट, बोल्ट और फास्टनर (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश, 2023 के तहत इन वस्तुओं का उत्पादन, बिक्री/व्यापार, आयात और भंडारण तबतक नहीं किया जा सकता जब तक कि उनपर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) का निशान न हो. बीआईएस अधिनियम, 2016 के अनुसार गैर-बीआईएस प्रमाणित उत्पादों का विनिर्माण, भंडारण और बिक्री प्रतिबंधित है.
भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के प्रावधान का उल्लंघन करने पर पहली बार अपराध करने पर दो साल तक की कैद या कम से कम दो लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। दूसरे और उसके बाद के अपराध के मामले में जुर्माना बढ़कर न्यूनतम पांच लाख रुपये और माल या वस्तुओं के मूल्य का 10 गुना तक हो सकता है.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा, ‘यह अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से छह महीने बाद लागू होगा. गुणवत्ता नियंत्रण आदेश का उद्देश्य भारत में गुणवत्ता परिवेश को मजबूत करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य और उपभोक्ताओं की सुरक्षा को बढ़ाना है.’ इसमें कहा गया है कि घरेलू सूक्ष्म और लघु उद्योगों को समर्थन देने के लिये गुणवत्ता आदेश को लागू करने की समयसीमा को लेकर छूट दी गई है. इसका मकसद नियमों के सुचारू क्रियान्वयन के साथ छोटे उद्यमों के हितों की रक्षा करना है. इसके अलावा कारोबार सुगमता को ध्यान में रखते हुए निर्यात के लिये घरेलू स्तर पर विनिर्मित वस्तुओं, तैयार माल या असेंबली से जुड़े कार्यों के लिये आयात को लेकर छूट दी गयी है.