पेंशन फंड में निवेश करने वालों के लिए सही योजना चुनकर बेहतर रिटर्न पाना जल्द आसान हो सकता है. पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए (PFRDA) ने लागत को घटाकर बेहतर रिटर्न को बढ़ावा देने के लिए नियमों में बदलाव प्रस्तावित किए हैं.
क्या है प्रस्ताव?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, PFRDA का प्रस्ताव है कि पेंशन फंडों (Pfs) को फाइनेंशियल स्टेटमेंट में योजना की मौजूदा स्थिति और नेट एसेट वैल्यू (NAV) की पूरी जानकारी देनी होगी. फंड के सीईओ (CEO) और सीएफओ (CFO) को सुनिश्चित करना होगा कि ये आंकड़े सही और स्पष्ट रूप से पेश किए जा रहे हैं. मुख्य पदों की कमान संभाल रहे अधिकारियों की जानकारी भी सालाना रिपोर्ट में देनी होगी. नियामक की मंजूरी के बिना मैनेजमेंट या स्वामित्व में पांच प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी के बदलाव नहीं किए जा सकेंगे. सीईओ और सीएफओ को एक सर्टिफिकेट भी जारी करना होगा, जिसमें पीएफआरडीओ अधिनियम, निवेश से जुड़े दिशानिर्देश, वोटिंग पॉलिसी, कोड ऑफ कंडक्ट सहित अन्य नियमों का पालन करने की सारी डिटेल शामिल होंगी.
जोखिम से जुड़े पहलुओं पर नजर
पेंशन फंड को योजना में स्पॉन्सर और पेंशन फंडों की हिस्सेदारी और भूमिका का अलग-अलग विवरण देना होगा. कंप्लायंस यानी अनुपालन से जुड़ी प्रक्रिया को सरल बनाना होगा. पेंशन फंडों को यह देखना होगा कि फंड की आंतरिक वित्तीय प्रक्रिया प्रभावी बनी रहे. फंड को जोखिम से जुड़े पहलुओं पर नजर रखनी होगी. फंड ऑडिट, नामांकन और मुआवजा के लिए अलग से कमेटी का गठन करना होगा.
बदलेगी परिभाषा
योजना की जानकारी देने में इस्तेमाल होने वाले ‘बिजनेस डे’, ‘कंप्लायंस ऑफिसर’, ‘की मैनेजिरियल पर्सनल’, ‘स्पॉन्सर’ जैसे तकनीकी शब्दों की परिभाषा भी बदली जाएगी. फिलहाल प्रत्येक कारोबारी दिन (business day) के अंत में एनएवी की गणना होती है. पीएफआरडीए का प्रस्ताव है कि इसकी गणना और घोषणा नियामक की तरफ से तय समय सीमा के अंदर की जानी चाहिए.
इसी तरह किसी भी नए पेंशन फंड को रजिस्ट्रेशन से 6 महीने के अंदर कामकाज शुरू करना होगा. इसमें किसी तरह की देरी होने पर नियामक को लिखित में कारण बताना होगा. विवाद की स्थिति न बने, इसके लिए एक पेंशन फंड से जुड़े डायरेक्टर को किसी अन्य फंड के बोर्ड में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी.
नियामक ने ये बदलाव कंपनी अधिनियम 2013 से जुड़े गवर्नेंस नॉर्म सरल बनाने के लिए पेश किए हैं. इनसे पेंशन फंडों को कंप्लायंस की प्रक्रिया में होने वाले खर्च को घटाने में मदद मिलेगी. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (EODB) बढ़ने से रिटर्न का दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी.
पीएफआरडीए ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) और अटल पेंशन योजना (APY) में हाल में 20 प्रतिशत की दर से बढ़त देखने को मिली है. इस साल इन योजनाओं में एक जुलाई तक 9.8 लाख करोड़ रुपए का निवेश देखने को मिला.