मसालों की महंगाई ने देश के हर किचन का बजट बढ़ाकर रखा हुआ है और महंगे मसालों की वजह से महंगाई दर भी नीचे नहीं उतर रही. मसालों की इस महंगाई की वजह काफी हद तक चीन है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से चीन कई भारतीय मसालों का बड़ा खरीदार बनकर उभरा है. चीन खासकर लाल मिर्च, जीरा और सौंफ का सबसे बड़ा खरीदार बना है. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश से निर्यात हुए लाल मिर्च, जीरा और सौंफ सबसे ज्यादा खरीदारी चीन की है.
कब कितना निर्यात
वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश से 5.57 लाख टन लाल मिर्च का एक्सपोर्ट हुआ है और उसमें चीन की हिस्सेदारी 1.91 लाख टन से ज्यादा है, जीरे की बात करें तो 2021-22 के दौरान निर्यात हुए कुल 2.16 लाख टन जीरे में चीन की खरीदारी 43382 टन रही, सौंफ के निर्यात में तो चीन की खरीद करीब 50 फीसद रही. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश से 40135 टन सौंफ का निर्यात हुआ जिसमें चीन की खरीद 20257 टन रही. इनके अलावा भारत से निर्यात होने वाले मसालों के तेल का भी अमेरिका के बाद चीन दूसरा बड़ा खरीदार है.
चीन की खरीद से बढ़ी महंगाई
भारतीय मसालों के लिए चीन की मांग पिछले 4-5 वर्षों में ही बढ़ी है, उससे पहले तो चीन की खरीद नाममात्र ही होती थी, वित्तवर्ष 2017-18 के दौरान चीन ने भारत से मसालों के नाम पर सिर्फ लाल मिर्च की थोड़ी बहुत खरीद की थी, जीरे और सौंफ की खरीद तो ना के बराबर थी. लेकिन हाल के कुछ वर्षों में चीन की खरीद बढ़ने की वजह से देश मे मसालों की कीमत बढ़ी है और मसालों की कीमत बढ़ने की वजह से रिटेल महंगाई में बढ़ोतरी देखने को मिली है. बीते अप्रैल के दौरान रिटेल महंगाई के आंकड़े देखें तो महंगाई दर तो घटकर 4.7 फीसद पर आ गई लेकिन मसालों की महंगाई 17.43 फीसद दर्ज की गई.
दुनियाभर में भारत मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है और भारत से निर्यात होने वाले मसालों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी लाल मिर्च, जीरा और हल्दी की है. वित्तवर्ष 2022-23 में फरवरी तक भारत से कुल 3.55 अरब डॉलर के मसालों का एक्सपोर्ट हुआ है जिसमें 1.5 अरब डॉलर का योगदान लाल मिर्च के एक्सपोर्ट से हुआ है.