कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) कंपनियों और जेनरेटिव AI मॉडल को नियंत्रित करने और इसके गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार नए नियम ला सकती है. इसके लिए 2021 के सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियमों में संशोधन की संभावना है. मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार संशोधनों से यह अनिवार्य किया जा सकता है कि जो प्लेटफॉर्म अपनी मशीनों को प्रशिक्षित करने के लिए एआई एल्गोरिदम या भाषा मॉडल का उपयोग करते हैं, वे पहले किसी तरह से प्रभावित न हो.
इस सिलसिले में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से संशोधनों को जल्द ही लागू किए जाने का आदेश दिया जा सकता है. इसके तहत ऐसे एआई एल्गोरिदम या भाषा मॉडल को सार्वजनिक तौर पर उपयोग करने से रोका जाएगा, जिनका डेटासेट पहले से तय है. एआई और भाषा मॉडल में पूर्वाग्रह को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों के अलावा, आईटी नियमों में संशोधन डीपफेक, सिंथेटिक चीजों और ऋण ऐप्स पर प्लेटफार्मों के लिए स्पष्ट निर्देशों के लिए नए नियम भी ला सकता है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि अभी हमारे पास पूर्वाग्रह के जो मानदंड हैं, वे अन्य मापदंडों के अलावा जाति, धर्म, समुदाय और राष्ट्रीय सुरक्षा पर केंद्रित हैं. इन सभी मापदंडों का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्लेटफार्मों पर कानूनी दायित्व दिया जाएगा, जिससे इंटरनेट पर भरोसा और सुरक्षा का दायरा बढ़ेगा.
हो सकते हैं ये बदलाव
नए नियम में सरकार ऐसे प्लेटफॉर्म्स जो खुद को लार्ज लैंग्वेज मॉडल पर ट्रेन करते हैं उनके लिए बायसनेस मुक्त पॉलिसी ला सकती है. इसके तहत ऐसे प्लेटफॉर्मों को न्यूट्रल जानकारी हर विषय में देनी होगी. अगर कोई प्लेटफॉर्म गलत या बायस जानकारी देता है तो सरकार उसे पब्लिक डोमेन में लॉन्च नहीं करेगी. सरकार डीपफेक कंटेट को चेक करने और इसे प्लेटफार्म से हटाने के लिए भी नए कानून ला सकती है, इसे सभी कंपनियों को फॉलो करना होगा. इसके अलावा लोन ऐप्स से होने वाली धोखाड़ी से आम जनता को बचाने के लिए भी सरकार सख्त रुख अपनान रही है. इसके लिए वाइट लिस्टेड ऐप्स या बैंकिंग गेटवे का इस्तेमाल किया जा सकता है.