आयात पर कार्बन टैक्स लगाने के यूरोपीय संघ (ईयू) के कदम से भारत बेहद चिंतित है. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि भारत अन्य देशों को इस चुनौती से सामूहिक रूप से निपटने के लिए एकजुट करेगा. मंत्री ने इस्पात उद्योग के एक कार्यक्रम में कहा “सामूहिक रूप से दुनिया को इस पर विचार करना होगा. हम कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) से हुई चिंता को दूर करने के लिए अन्य देशों को अपने साथ लाने पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करेंगे.
उन्होंने कहा कि भारत टैक्स को लेकर बेहद चिंतित है और उसने यूरोपीय संघ से इस मुद्दे पर बात की है. “हम इसे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में बहुत गंभीरता से ले रहे हैं. हम भारतीय उत्पादकों और निर्यातकों को उचित सौदा दिलाने के लिए मिलकर इससे लड़ने में सक्षम होंगे.”
सीबीएएम ने इस वर्ष अक्टूबर से कार्यान्वयन के अपने पहले चरण में प्रवेश किया है. पहले चरण में सात थोक वस्तुओं – सीमेंट, लोहा और इस्पात, एल्यूमीनियम, उर्वरक, बिजली और हाइड्रोजन के उत्पादन चरण के दौरान कार्बन उत्सर्जन की रिपोर्टिंग शामिल है. टैक्सेशन जनवरी 2026 से शुरू होगा और धीरे-धीरे अधिक से अधिक उत्पादों को इसके दायरे में लाया जाएगा, जिससे यूरोपीय संघ को निर्यात पर दंडात्मक लागत आएगी. अनुमान के मुताबिक सीबीएएम के परिणामस्वरूप निर्यात पर 20-35 फीसद अतिरिक्त शुल्क लगेगा.
इन सात उत्पादों में से भारत की रुचि मुख्य रूप से स्टील और एल्युमीनियम में है. सीबीएएम एक हजार से अधिक बड़ी, मध्यम और छोटी कंपनियों द्वारा यूरोपीय संघ को लौह अयस्क छर्रों, लोहा, इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों के भारत के 8.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (CY 2022 में) निर्यात को प्रभावित करेगा. भारत का इन उत्पादों का 27 फीसद निर्यात यूरोपीय संघ को जाता है.
डब्ल्यूटीओ में भारत, चीन और अन्य द्वारा सीबीएएम के खिलाफ विरोध दर्ज कराया गया है. डब्ल्यूटीओ ने इसे ‘व्यापारिक चिंता’ के रूप में चिह्नित किया है. मंत्री ने कहा कि भारत भारतीय इस्पात, एल्यूमीनियम या किसी अन्य उद्योग पर अनुचित कर या अनुचित शुल्क स्वीकार नहीं करेगा.