सरकार ने गेहूं की कीमतों में तेजी आने के बीच बृहस्पतिवार को गेहूं व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़ी खुदरा श्रृंखला विक्रेताओं पर स्टॉक सीमा को 3,000 टन से घटाकर 2,000 टन कर दिया है. यह कदम तत्काल प्रभाव से लागू होगा. इस निर्णय की घोषणा करते हुए खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि कीमतों में हालिया वृद्धि को ध्यान में रखते हुए हमने स्टॉक सीमा की समीक्षा की है और आज से व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़ी खुदरा श्रृंखला के विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा को घटाकर 2,000 टन कर दिया गया है.
तीन महीने पहले 12 जून को सरकार ने इन गेहूं कारोबारियों पर मार्च, 2024 तक 3,000 टन की स्टॉक रखने की सीमा लगाई थी. स्टॉक सीमा को घटाकर 2,000 टन कर दिया गया है क्योंकि सरकार ने पाया कि पिछले एक महीने में एनसीडीईएक्स पर गेहूं की कीमतों में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह बढकर 2,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. चोपड़ा ने संवाददाताओं से कहा कि हालांकि, देश में गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता है, मुझे लगता है कि कुछ तत्व हैं जो कुछ कृत्रिम कमी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.
FCI ने आटा मिलों के स्टॉक की जांच शुरू की
गेहूं की बढ़ती महंगाई को काबू करने के लिए भारतीय खाद्य निगम ने आटा मिलों के स्टॉक की जांच शुरू कर दी है. FCI अपनी जांच में देखना चाहता है कि मिलों ने अपने पास गेहूं के जितने स्टॉक को घोषित किया है. कहीं उनके पास उससे ज्यादा स्टॉक तो नहीं. इस बीच घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है. सितंबर की शुरुआत में दिल्ली में गेहूं का भाव 2,521 रुपए प्रति क्विंटल था जो अब बढ़कर 2562 रुपए हो गया है. उधर, अमेरिकी कृषि विभाग का मानना है कि इस साल दुनियाभर में गेहूं का उत्पादन इसकी खपत के मुकाबले कम रहेगा.