काफी आसान हो गई है. आजकल लोग छोटी–छोटी ट्रांजेक्शन भी डिजिटली कर रहे हैं. इसके साथ ही देश में साइबर ठगों का जाल भी फैलता जा रहा है. इस बारे में RBI की रिपोर्ट चिंता में डालने वाली है.
डिजिटल फ्रॉड पर अंकुश लगाने के लिए आरबीआई ने सख्ती बढ़ा दी है. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि अब सभी तरह के फ्रॉड के मामलों को रिपोर्ट करना जरूरी है. उसने बैंकों से पूछा है कि ऑनलाइन फ्रॉड रोकने के लिए उन्होंने अपने यहां क्या व्यवस्था की है, ये सिस्टम कैसे काम कर रहा है?
क्या कहती है रिपोर्ट?
आरबीआई की 2022-23 की सालाना रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2021-22 में कुल 9,097 फ्रॉड हुए थे. साल 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़कर 13,530 हो गया.. यानी फ्रॉड की संख्या करीब 48 फीसद बढ़ गई. हालांकि फ्रॉड में शामिल राशि 49 फीसद कम हो गई. साल 2021-22 में कुल 59,819 करोड़ रुपए का फ्रॉड हुआ जो कि 2022-23 में घटकर 30,252 करोड़ रुपए रहा. फ्रॉड की राशि में कमी का मतलब है कि देश में छोटे छोटे फ्रॉड बढ़े हैं. डिजिटल फ्रॉड की बात करें तो वर्ष 2021-22 कुल 3596 डिजिटल फ्रॉड रिपोर्ट किए गए थे जो वित्त वर्ष 2022-23 में बढ़कर 6659 हो गए. इस तरह डिजिटल फ्रॉड से जुड़े मामले बढ़कर दोगुने हो गए.
कहां और कैसे हो रहे फ्रॉड?
आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि साल 2022-23 में देश में कुल 30,252 करोड़ रुपए के बैंकिंग फ्रॉड हुए. इसमें लोन से जुड़े फ्रॉड का हिस्सा 28,792 करोड़ रुपए यानी 95 फीसद था. वैल्यू के हिसाब से लोन के नाम पर सबसे ज्यादा रकम का फ्रॉड किया गया. देश में डिजिटल पेमेंट यानी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए सबसे ज्यादा फ्रॉड हो रहे हैं. साइबर ठग ओटीपी मांग कर कार्ड और यूपीआई के जरिए ज्यादा फ्रॉड कर रहे हैं.
कंपनियों पर साइबर अटैक का खतरा
भारतीय कंपनियों पर साइबर अटैक का खतरा भी बढ़ रहा है. अमेरिका की डेटा सिक्योरिटी कंपनी Rubrik की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कंपनियां रैंसमवेयर अटैक सहित साइबर अटैक के बढ़ते जोखिम का सामना कर रही हैं. Rubrik के एक सर्वे के मुताबिक 26 फीसद लोगों ने कहा कि पिछले एक साल में उनकी कंपनियों पर साइबर अटैक की 100 से ज्यादा कोशिशें की गईं. वहीं 51 फीसद कंपनियों ने साइबर अटैक की वजह से अपने कस्टमर खोए.
केवाई के नाम पर ज्यादा ठगी
कॉलर आईडी ऐप ट्रूकॉलर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत स्पैम कॉल से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में शुमार है. देश में 64% लोगों को रोज तीन या ज्यादा स्पैम कॉल आती हैं. यहां प्रति यूजर हर महीने स्पैम कॉल की औसत संख्या 16.8 है. रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा फ्रॉड वॉलेट या बैंक केवाईसी वैलिड करने की आड़ में किए जा रहे हैं.
कैसे करें बचाव
साइबर एक्सपर्ट दिव्या तंवर कहती हैं कि डिजिटल फ्रॉड की घटनाओं से बचने के लिए सावधानी ही सबसे बड़ा कारगर उपाय है. केवाईसी अपडेट कराने के झांसे में न आएं. ज्यादातर लोग लालच में आकर ठगी के शिकार होते हैं. रिफंड और बोनस के लालच में कतई न फंसें. अगर आपके साथ ऑनलाइन ठगी की कोई घटना हुई है तो उसकी तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं. साइबर क्राइम से जुड़े टोल फ्री नंबर पर 1930 पर फोन करें. इससे पैसा मिलने की कुछ संभावनाएं बन सकती हैं.
मनी9 की सलाह
ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के लिए एक बात गांठ बांध लें कि कभी लालच में न आएं. आपसे फोन पर कोई ओटीपी मांगे तो कतई न बताएं. टेलीकॉम कंपनियां और बैंक आपसे कभी ओटीपी, सीवीवी जैसी गोपनीय जानकारी नहीं मांगते. व्हाट्सएप पर अनजान लोगों से वीडियों कॉलिंग से बचें. ऐसे फ्रॉड आपको बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं.