देश के कई राज्यों में नई पेंशन स्कीम के खिलाफ चल रही मुहिम के बीच आंध्र प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए एक विशेष पेंशन योजना को मंजूरी दी है. इस योजना को गारंटी पेंशन स्कीम (GPS) नाम दिया गया है. जीपीएस राज्य की मौजूदा पेंशन योजना कंट्रीब्यूटरी पेंशन स्कीम (सीपीएस) की जगह लेगी. जीपीएस के तहत कर्मचारी के रिटायरमेंट की समय की सैलरी की 50 फीसद रकम पेंशन के रूप में सुनिश्चित की जाएगी. साथ ही इसमें हर साल महंगाई भत्ता जुड़ेगा. ऐसे में आंध्र प्रदेश सरकार की यह पेंशन योजना अन्य राज्यों के लिए मॉडल साबित हो सकती है.
कर्मचारियों को कैसे होगा फायदा?
आंध्र सरकार की जीपीएस योजना को लाने का मकसद सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है. सरकार का मानना है कि यह योजना न सिर्फ कर्मचारियों बल्कि सरकार के लिए भी फायदेमंद होगी. नई पेंशन व्यवस्था सीपीएस पेंशन प्रणाली की तुलना में ज्यादा फायदेमंद है. सरकार के उदाहरण के अनुसार अगर किसी कर्मचारी की आखिरी सैलरी एक लाख रुपए है तो उसे पेंशन के रूप में 50,000 रुपए मिलेंगे. साथ ही उसे महंगाई भत्ता (DA) का भी लाभ मिलेगा. ऐसे में जब तक कर्मचारी 82 वर्ष की आयु का होगा तब तक उसकी पेंशन 1.10 लाख रुपए प्रतिमाह हो जाएगी.
जानिए जीपीएस कैसे बेहतर?
आंध्र प्रदेश में जो कर्मचारी 1 सितंबर, 2004 के बाद सेवा में शामिल हुए हैं उनके लिए सीपीएस पेंशन योजना है. इसमें कर्मचारी की बैसिक सैलरी का 10 फीसद राशि जमा होती है. इतना ही योगदान सरकार की ओर से किया जाता है. रिटायरमेंट के बाद कर्माचरी 60 फीसद रकम निकाल सकता जबकि बची हुई 40 फीसद रकम से पेंशन के लिए एन्युटी खरीदी जाती है. इसमें पेंशन के राशि पूंजी बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करती है. इसमें कितनी पेंशन मिलेगी, इस बात की कोई गारंटी नहीं होती. जीपीएस में पहले दिन से तय है कि कर्मचारी को रिटायरमेंट के समय जो अंतिम सैलरी मिली है उसकी 50 फीसद राशि पेंशन हर महीने पेंशन के रूप में मिलेगी. इस तरह नई स्कीम काफी बेहतर साबित होगी.