देशभर में साइबर क्राइम की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप तक कहीं भी आपका डाटा सुरक्षित नहीं है. लोगों के पैन (PAN), आधार और मोबाइल से जुड़ी निजी सूचनाएं थोक में बेची जा रही हैं. इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने में मौजूदा कानून बुरी तरह विफल रहा है. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार अब नया कानून लेकर आ रही है. इसका मसौदा जून के पहले सप्ताह में जारी किया जाएगा.
क्या रुक पाएगी डाटा चोरी? पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि साइबर अपराधी सरकारी उपायों से दो कदम आगे हैं. साइबरी ठगी को लेकर लोगों में खौफ है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि क्या नए कानून के ड्राफ्ट में लोगों की समस्याओं से जुड़ा समाधान होगा? अगर ड्राफ्ट में लोगों के सवालों का जवाब मिलता है तो राहत मिल सकती है लेकिन इनके सवालों का जवाब नहीं मिलता है तो फिर इस तरह के कानून को लाने का कोई मतलब नहीं.
सरकार की क्या है योजना? डिजिटल इंडिया एक्ट बिल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित डिजिटल सर्विसेज को रेगुलेट करेगा क्योंकि केंद्र सरकार देश के दशकों पुराने इंटरनेट कानून, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 को बदलना चाहती है. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार नए कानून में नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने का प्रावधान होगा. इस दौरान उन्होंने यूरोपीय संघ द्वारा हाल ही में यूजर्स का डाटा अमेरिका ट्रांसफर करने के बदले मेटा पर लगाए गए रिकॉर्ड जुर्माने के मामले का भी जिक्र किया. यह मामला ग्लोबल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशंस (GDPR) का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि नया बिल जुलाई में संसद में पेश किया जाएगा. सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था को लगभग 80 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाने का है.
मौजूदा कानून के नियम पुराने साल 2000 में जब आईटी एक्ट बना तब देश में 55 लाख इंटरनेट यूजर्स थे, जबकि अभी इनकी संख्या 85 करोड़ से ज्यादा हो गई है. इतने सालों में कई ई-प्लेटफॉर्म सामने आए हैं जैसे- डिजिटल और सोशल मीडिया, ई कारोबार, ओटीटी, गेमिंग आदि. इसके साथ ही साइबर क्राइम जैसे- कैटफिशिंग, डॉक्सिंग, हैकिंग, साइबर स्टॉकिंग, साइबर ट्रोलिंग, गैसलाइटिंग आदि में भी भारी वृद्धि हुई है. कुल मिलाकर अब साइबर अपराध इतने ज्यादा बढ़ गए हैं कि मौजूदा आईटी कानून के नियम इसके लिए पुराने पड़ गए हैं. ऐसे में लोगों की निजता को सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती हो गई है.
क्या हो सकते हैं प्रावधान? नए एक्ट में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने वाली फेक न्यूज पर लगाम लगाई जाएगी. वहीं, आईटी सेक्टर के लिए एक अलग जांच एजेंसी बनाई जा सकती है. इसके अलावा लोगों के निजता का उल्लंघन करने वाले उपकरणों- स्पाई कैमरे आदि पर सख्ती कर सकती है. इसके अलावा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर गेमिंग और सट्टेबाजी से जुड़ी ऐप (betting Apps) से निपटने, बच्चों की प्राइवेसी और उनकी सुरक्षा के लिए प्रावधान हो सकते हैं. यह सिर्फ अनुमान है. ड्राफ्ट आने के बाद ही पक्के तौर पर पता चल पाएगा कि सरकार ड्राफ्ट में क्या-क्या प्रावधान करती है.
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