चावल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने अगले हफ्ते से भारत चावल पहल के तहत सब्सिडी वाला अनाज बेचने का फैसला किया है. इसके तहत उपभोक्ताओं को खुदरा दुकानों पर 29 रुपए प्रति किलो के हिसाब से चावल मिल पाएगा. सरकार की ओर इसकी जल्द ही औपचारिक घोषणा की जाएगी.
सरकार की योजना बड़े पैमाने पर खपत वाले चावल की किस्मों की खुदरा कीमतों को कम करने की है, क्योंकि भारतीय खाद्य निगम (FCI) की ओर से कुछ निर्यात और खुले बाजार में बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद कीमतें काफी ऊंची बनी हुई हैं. एक अधिकारी का कहना है कि चावल की ऊंची कीमतों का मुद्दा चिंता का विषय बना हुआ है, उम्मीद है कि भारत चावल पहल से कीमतों में कमी लाने में कुछ प्रभाव पड़ सकता है.
रियायती दरों पर दाल और आटा भी उपलब्ध
वर्तमान में सरकार भारत दाल और भारत आटा पहल के तहत क्रमशः 60 रुपए प्रति किलोग्राम और 27.5 रुपए प्रति किलोग्राम की रियायती दरों पर बेच रही है. इसके अलावा एफसीआई ने अब तक अपने बचे हुए स्टॉक से खुले बाजार बिक्री योजना के तहत थोक खरीदारों को 7 मिलियन टन (एमटी) से अधिक गेहूं बेचा है. सूत्रों के मुताबिक एफसीआई के पास लगभग 0.45 मीट्रिक टन गैर-फोर्टिफाइड चावल का स्टॉक शुरू में किसानों की सहकारी संस्था नेफेड, राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और केंद्रीय भंडार जैसी एजेंसियों द्वारा खुदरा बिक्री के लिए पेश किया जाएगा.
चावल की कीमतें ऊंचे स्तर पर
जुलाई, 2023 से एफसीआई साप्ताहिक ई-नीलामी के माध्यम से चालू वर्ष के लिए 5 मीट्रिक टन आवंटन के मुकाबले अब तक केवल 0.16 मीट्रिक टन चावल बेच सका है. दिसंबर में खुदरा चावल की कीमतों में 12.33% की वृद्धि हुई और अक्टूबर 2022 के बाद से चावल की कीमतें ऊंचे स्तर पर हैं. बता दें सरकार ने घरेलू आपूर्ति में सुधार के लिए पिछले साल सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और उबले चावल पर 20% निर्यात शुल्क लगाया है. वर्तमान में, एफसीआई के पास मिल मालिकों से प्राप्त 37 मीट्रिक टन को छोड़कर, 19.54 मीट्रिक टन चावल का स्टॉक है.