केंद्र सरकार अब नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में बड़े बदलाव की तैयारी में है ताकि कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) का राग अलापना छोड़ दें. मीडिया रिपोर्ट्स में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि सरकार कर्मचारियों को भुगतान की गई उनकी आखिरी बेसिक सैलरी व महंगाई भत्ता (डीए) का 40 से 45 फीसदी न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित करने पर विचार कर रही है. माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले इस बारे में अंतिम फैसला हो सकता है. हालांकि इस बारे में अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
पिछले कुछ समय से पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग जोर पकड़ रही है. कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में पुरानी पेंशन की बहाली का मामला बड़ा मुद्दा बना था. राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल कर चुके हैं. ऐसे में NPS में न्यूनतम पेंशन की गारंटी के प्रस्ताव पर सरकार की मुहर लग जाती है तो इससे केंद्र की सत्ता में बैठी भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में बड़ा फायदा मिल सकता है. बता दें केंद्र सरकार ने नई पेंशन स्कीम के बढ़ते विरोध के बीच चार सदस्यीय कमेटी भी बनाई है जो NPS की समीक्षा और इसमें सुधारों को लेकर काम कर रही है.
कितनी बनेगी पेंशन?
उदाहरण के लिए रमेश ठाकुर केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं. रिटायरमेंट के समय उनकी कुल सैलरी एक लाख रुपए है और बैसिक सैलरी व डीए 80 हजार रुपए है. अगर सरकार 45 फीसद पेंशन की गारंटी देती है तो रिटायरमेंट के समय रमेश की 36,000 रुपए पेंशन बन सकती है. हालांकि इस बारे में सरकार की ओर से कोई विस्तृत ब्योरा सामने नहीं आया है.
क्या है मौजूदा व्यवस्था?
एनपीएस उन कर्मचारियों पर लागू है जो 1 अप्रैल 2004 से सरकारी सेवा में शामिल हुए थे. मौजूदा एनपीएस में कर्मचारियों को बेसिक सैलेरी का 10 फीसदी जमा करना होता है और इसमें 14 फीसदी योगदान सरकार देती है. इसके बाद रिटर्न कुल कॉरपस पर मिलने वाले मार्केट रिटर्न्स पर निर्भर करता है. अभी राष्ट्रीय पेंशन योजना के सदस्य की 60 साल पूरे होने पर सेवानिवृत्ति कोष का 60 प्रतिशत तक टैक्स फ्री एकमुश्त राशि के रूप में निकाल सकते हैं, जबकि बचे 40 फ़ीसदी से ‘एन्यूटी’ खरीदनी होगी जिससे व्यक्ति को हर साल निश्चित राशि भुगतान की जाएगी. इस व्यवस्था में कितनी पेंशन मिलेगी, इस बात की कोई गारंटी नहीं है.