दालों की बढ़ती महंगाई को देखते हुए केंद्र सरकार दालों की सप्लाई को बढ़ाने के लिए कदम उठा सकती है. पहले ही सरकार ने कई दालों पर स्टॉक लिमिट लगा रखी है और कुछ दालों के आयात पर छूट दी हुई है. वहीं अब त्यौहारी सीजन को देखते हुए सरकार अपने स्टॉक से दालों की सप्लाई को बढ़ा सकती है. उपभोक्ता सचिव ने भी दालों की सप्लाई बढ़ाने की बात कही है. बीते एक महीने के दौरान अरहर, उड़द, मूंग और चने की कीमतों में तेजी देखने को मिली है.
उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह के मुताबिक आगामी त्यौहारी सीजन में घरेलू बजार में सप्लाई सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे. उनका कहना है कि कनाडा से मसूर दाल और अफ्रीकी देशों से तुअर के इंपोर्ट में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इन सबके बीच कुछ कारोबारी उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ बाजार में हेराफेरी करने की कोशिश कर रहे हैं. उनका कहना है कि आयात और स्टॉक लिमिट के जरिए उपभोक्ताओं को सस्ती दालें उपलब्ध कराई जाएंगी.
बता दें कि पिछले हफ्ते की शुरुआत में उपभोक्ता मामलों के विभाग ने व्यापारियों और आयातकों से मसूर (दाल) के स्टॉक का अनिवार्य रूप से खुलासा करने के लिए कहा था. ऐसा नहीं करने पर आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत उचित कार्रवाई की जाएगी. जुलाई के महीने में दाल और उत्पाद श्रेणी में खुदरा महंगाई दर 13.27 फीसद थी. जुलाई में सबसे ज्यादा महंगाई अरहर (34.05 फीसद), मूंग (9.07 फीसद) और उड़द (7.85 फीसद) में थी. जून में दालों की महंगाई दर 10.53 फीसद पर पहुंच गई थी.
गौरतलब है कि घरेलू उत्पादन दाल की बढ़ती खपत के लिए पर्याप्त नहीं है और यही वजह है कि भारत कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से बड़े पैमाने पर दाल का आयात करता है. आंकड़ों के मुताबिक 2016 में जब तुअर का खुदरा भाव 200 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया था, तो उस समय भारत ने 5 साल के लिए सालाना 0.2 मिलियन टन तुअर के आयात के लिए मोजाम्बिक के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. सितंबर 2021 में इस समझौता ज्ञापन को अगले 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया था. 2021 में भारत ने 2025 तक हर साल क्रमशः 50,000 टन और 0.1 मीट्रिक टन तुअर के आयात के लिए मलावी और म्यांमार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे.
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