जिन घर खरीदारों को उनके घर का मालिकाना हक़ नहीं मिला उन्हें जल्द बड़ी राहत मिल सकती है. सरकार अब ऐसा प्रस्ताव लाने का विचार कर रही है जिसके तहत पूरे हो चुके रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट के उन फ्लैट की रजिस्ट्री हो सकेगी जिनका डेवलपर दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रहा हो. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार इसके लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) को रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) से जरूरी जानकारी लेने का अधिकार दे सकती है.
अभी देखने में आता है कि बहुत से प्रोजेक्ट में लोग घरों में रह तो रहे हैं लेकिन बिल्डर के दिवालिया घोषित होने या स्थानीय अथॉरिटी में बकाया होने की वजह से कई सालों से उनकी रजिस्ट्री अटकी हुई हैं. यानी उन्हें मालिकाना हक़ अब तक नहीं मिल पाया है. वहीं अगर कोई प्रोजेक्ट अटक जाता है या बिल्डर दिवालिया हो जाता है तो घर खरीदार बकाया रकम भी डूबने या फंसने नहीं चुकाते हैं. अब इस पहल से घर खरीदारों से बचा हुआ पैसा लेने और उन्हें कब्जा मिलने में भी मदद मिलेगी. साथ ही रजिस्ट्री शुरू होने से राज्य सरकार के राजस्व में भी इज़ाफ़ा होगा.
बता दें कुछ अनुमान है कि अकेले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नोएडा और ग्रेटर नोएडा इलाक़ों में 100 से ज़्यादा आवासीय परियोजनाएं या तो अटकी हुई हैं या उनमें देरी हो रही है. रिसर्च फर्म ग्रांट थॉर्नटन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में रजिस्टर्ड 2,298 में से 518 रियल एस्टेट कंपनियों पर दिवालिया केस चल रहा है. इनमें से 611 दाखिल दिवालिया मामलों में से सिर्फ 78 का निपटारा हुआ है.