केंद्र सरकार विपणन सत्र 2024-25 के लिए 6 रबी या शीतकालीन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को 2 फीसद से 7 फीसद तक बढ़ा सकती है. वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक रबी फसल में गेहूं और मसूर की एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. बता दें कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों को न्यूनतम आय की गारंटी मिलती है. इससे किसानों को खेती के लिए प्रोत्साहन मिलता है और इसके अलावा खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद मिलती है.
7 फीसद बढ़ सकती है गेहूं और मसूर की एमएसपी
गौरतलब है कि सरकार ने पिछले साल रबी की मुख्य फसल गेहूं की एमएसपी बीते साल से 5.5 फीसद बढ़ाकर 2,125 प्रति क्विंटल कर दिया गया था, जबकि दो प्रमुख रबी दालों में से एक मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 9.1 फीसद बढ़ाकर 6,000 प्रति क्विंटल कर दिया गया था. मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि अगले सीजन में बीते साल की तुलना में गेहूं और मसूर की एमएसपी को 7 फीसद बढ़ाकर क्रमश: 2,275-2,300 रुपए और 6,425-6,450 रुपए प्रति क्विंटल किया जा सकता है. उनका कहना है कि एफसीआई, नैफेड और एनसीसीएफ स्टॉक को बढ़ावा देने के लिए किसानों से पर्याप्त मात्रा में अनाज और दाल की खरीदारी कर सकते हैं.
चना और जौ का सरकारी भाव क्या रहेगा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जौ और चना (बंगाल चना) के न्यूनतम समर्थन मूल्य में पिछले साल के अनुरूप ही बढ़ोतरी की उम्मीद है. चने की एमएसपी 2 फीसद की मामूली बढ़ोतरी के साथ 5,440-5,475 रुपए प्रति क्विंटल हो सकती है, जबकि जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6.6 फीसद बढ़कर 1,850-1,900 रुपए प्रति क्विंटल हो सकता है. बता दें कि सरकार ने रबी विपणन सीजन 2023-24 के लिए चना और जौ की एमएसपी में क्रमश: 2 फीसद और 6.1 फीसद की बढ़ोतरी हो सकती है.
4 फीसद तक बढ़ सकता है सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेपसीड एवं सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य को 3.6 फीसद-4 फीसद बढ़ाकर 5,650-5,700 रुपए प्रति क्विंटल किया जा सकता है, जबकि सैफ्लावर की एमएसपी को 2.6 फीसद-3 फीसद बढ़ाकर 5,800-5,850 रुपए प्रति क्विंटल किया जा सकता है. भारत के कुल खाद्यान्न उत्पादन में रबी सीजन की हिस्सेदारी तकरीबन आधी है.