भारत में 4 लाख के आस पास जल स्त्रोत या तो सूख चुके हैं, या उनमें गाद भरा है या इस्तेमाल में नहीं है जबकि 24 हज़ार पर अवैध कब्जा है. ये बात पता चली है केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी हालिया आंकड़ों से. आंकड़ों से पता चला कि देश में 24.24 लाख से ज्यादा जल स्रोत हैं. जल स्रोतों की गणना से पता चला कि देश के सभी जल स्रोतों में 59.5 फीसद पोखर या ताल हैं, 15.7 फीसद टैंक हैं, 12.1 फीसद झीलों जैसे बड़े रिजर्वायर, 9.3 फीसद जल संरक्षण के लिए बने चेक डैम, 0.9 फीसद झीलें और बाकी अन्य जल स्रोत हैं. गणना बताती है कि 97.1 फीसद जल स्रोत देश के ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और शहरी क्षेत्रों में सिर्फ 2.9 फीसद जल स्रोत हैं.
जल स्रोतों की गणना बताती है कि देश के कुल 24.24 लाख जल स्रोतों में 1.6 फीसद यानी 24 हजार से ज्यादा पर अवैध कब्जा है, इनमें 95.4 फीसद जल स्रोत ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और बाकी शहरी क्षेत्रों में. अवैध कब्जे के शिकार जल स्रोतों में 62.8 फीसद ऐसे हैं जिनके 25 फीसद से कम हिस्से पर कब्जा है, सिर्फ 11.8 फीसद ऐसे हैं जिनके 75 फीसद से ज्यादा के हिस्से पर अवैध कब्जा हो चुका है.
रिपोर्ट बताती है कि देशभर में पश्चिम बंगाल ऐसा राज्य है जहां पर सबसे ज्यादा ताल, पोखर और रिजर्वायर हैं, आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा टैंक हैं, तमिलनाडु में सबसे ज्यादा झीलें और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा जल संरक्षण योजनाएं चल रही हैं. इस्तेमाल के लिहाज से देखें तो देशभर के जल स्रोतों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल मतस्यपालन के लिए होता है, इसके बाद सिंचाई, ग्राउंट वाटर रीचार्ज और पीने के पानी के इस्तेमाल का नंबर है. जल स्रोतों की गणना बताती है कि देश के 55.2 फीसद यानी 13.38 लाख से ज्यादा स्रोत निजी हाथों में हैं और बाकी 10.85 लाख पंचायतों या राज्य तथा केंद्र सरकार जैसे सार्वजनिक हाथों में हैं.
रिपोर्ट यह भी बताती है कि देश के कुल 24.24 लाख जल स्रोतों में 78 फीसद यानी 18.90 लाख मानव निर्मित हैं और सिर्फ 5.34 लाख ही जल स्रोत प्राकृतिक हैं. करीब 50 फीसद जल स्रोत ऐसे हैं जिनकी स्टोरेज क्षमता 1000-10,000 क्यूबिक मीटर है, सिर्फ 12.7 फीसद जल स्रोत ही ऐसे हैं जिनकी स्टोरेज क्षमता 10,000 क्यूबिक मीटर से ज्यादा है.