मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर सरकार सख्त हो गई है. यही वजह है कि अब 50,000 रुपए से अधिक के अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की जांच होगी. इनका रिकॉर्ड रखा जाएगा. साथ ही एक रिपोर्टिंग इकाई को ग्राहकों की पहचान करनी होगी और उनकी पहचान को सत्यापित करना होगा. अगर ट्रांजेक्शन के बारे में सही डिटेल नहीं मिलती है तो इसकी ज्यादा बारीकी से जांच करके इसके उद्देश्य का भी पता लगाना होगा. इस सिलसिले में केंद्र सरकार ने मनी-लॉन्ड्रिंग रोकथाम नियम 2005 में संशोधन किया है.
केंद्र ने आतंक के वित्तपोषण को रोकने के मकसद से यह कदम उठाया है. नए नियम के तहत रिपोर्टिंग संस्थाओं के साथ आदान-प्रदान की गई जानकारी की गोपनीयता बनाए रखने और इसके सही उपयोग को लेकर भी सुरक्षा नियम अनिवार्य किए गए हैं.ह इसमें टिप-ऑफ को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय भी शामिल हैं.
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, प्रत्येक रिपोर्टिंग इकाई अपने ग्राहकों की पहचान करेगी, पहचान के विश्वसनीय और सोर्सेस का उपयोग करके उनकी पहचान सत्यापित करेगी. अगर व्यावसायिक तौर पर लेनदेन की गई है तो उसकी डिटेल भी हासिल की जाएगी. इसके अलावा रिपोर्टिंग इकाई को यह भी तय करना होगा कि ग्राहक बेनिफिशियरी ओनर की ओर से कार्य कर रहा है या नहीं. अगर कोई थर्ड पार्टी है तो उसकी पहचान भी करनी होगी.