देश से ऑयलमील का निर्यात नवंबर में 22 फीसद घटकर 3.17 लाख टन रहा. मुख्य रूप से सरसों के डी-आयल्ड केक (डीओसी) का नवंबर में निर्यात घटने के कारण निर्यात कम हुआ है. सरसों के डी-आयल्ड केक को सरसों खल निकलने के बाद निकाला जाता है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि पिछले साल इसी महीने में 4,07,193 टन की तुलना में पिछले नवंबर में डीओसी (ऑयलमील्स) का निर्यात 3,17,870 टन था.
सरसों डीओसी का निर्यात पिछले महीने घटकर 93,124 टन रह गया जो पिछले साल के नवंबर महीने में 1,34,952 टन रहा था, जबकि सोयाबीन डीओसी का निर्यात पहले के 1,64,075 टन से बढ़कर 1,83,429 टन हो गया. एसईए के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से नवंबर की अवधि के दौरान सभी डीओसी (ऑयलमील्स) का कुल निर्यात 28,83,921 टन रहा. यह पिछले वर्ष के समान अवधि के 23,82,690 टन के निर्यात से 21 प्रतिशत अधिक है. एसईए ने कहा ने कहा कि सोयाबीन डीओसी के निर्यात में वृद्धि हुई है.
एसोसिएशन ने कहा कि भारतीय सोयाबीन डीओसी की अंतर्राष्ट्रीय मांग में सुधार का मुख्य कारण इसका मूल्य प्रतिस्पर्धी होना और हाल के महीनों में अर्जेंटीना से निर्यात आपूर्ति में कमी आना रहा है. अप्रैल-नवंबर के दौरान सोयाबीन डीओसी का कुल निर्यात पिछले साल के समान अवधि के 3.25 लाख टन की तुलना में 8.57 लाख टन का हुआ. भारतीय सोयाबीन डीओसी के प्रमुख उपभोक्ता देश, दक्षिण पूर्व एशियाई देश हैं. एसईए ने कहा कि पिछले वित्तवर्ष (2022-23) के दौरान, सरसों डीओसी का निर्यात 22.96 लाख टन रहा था.
एसईए ने कहा कि चालू वित्तवर्ष में सरसों डीओसी के निर्यात का रुख जारी है और अप्रैल से नवंबर 2023 के दौरान 16.07 लाख टन का निर्यात होने की सूचना है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान 14.74 लाख टन के निर्यात की तुलना में नौ प्रतिशत अधिक है. एसोसिएशन ने कहा कि वर्तमान में भारत दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड और अन्य सुदूर पूर्व के देशों में सरसों डीओसी का सबसे प्रतिस्पर्धी आपूर्तिकर्ता है.