घरेलू स्तर पर चावल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए केंद्र सरकार ने सेला (Parboiled) चावल के निर्यात पर जो 20 फीसद एक्सपोर्ट टैक्स की शर्त लगा रखी है, उसे 31 मार्च तक बढ़ाने का फैसला किया गया है. शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से सेला चावल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी की शर्त को बढ़ाने को लेकर अधिसूचना जारी की गई. इससे पहले यह शर्त 16 अक्टूबर तक लागू थी.
हाल के दिनों में चावल की कीमतों में जोरदार तेजी देखी जा रही है, ऊपर से सरकारी स्टॉक में अनाज की कमी भी बढ़ गई है. जिस वजह से सरकार ने जुलाई के दौरान सेला चावल के निर्यात पर 20 फीसद एक्सपोर्ट ड्यूटी और बासमती चावल निर्यात पर 1200 डॉलर प्रति टन न्यूनतन निर्यात मूल्य की शर्त लगाई थी. चावल की कीमतों की बात करें तो बीते एक साल के दौरान भाव करीब 22 फीसद बढ़ा है. उपभोक्ता विभाग के मुताबिक शुक्रवार को दिल्ली में चावल का औसत भाव 39 रुपए प्रति किलो दर्ज किया गया जो एक साल पहले 32 रुपए प्रति किलो हुआ करता था.
इस साल देश में खरीफ चावल का कितना उत्पादन होगा, इसको लेकर भी स्थिति साफ नहीं है. आम तौर पर केंद्रीय कृषि मंत्रालय की तरफ से खरीफ फसलों के उत्पादन का पहला अनुमान सितंबर के पहले पखवाड़े में जारी कर दिया जाता है, लेकिन इस बार 1 महीने की देरी हो चुकी है और अभी तक सरकार की तरफ से फसल उत्पादन का पहला अनुमान जारी नहीं हुआ है.
सरकार की तरफ से चावल के निर्यात पर पाबंदी की शुरुआत पिछले साल ही हो गई थी, पहले सरकार ने गैर बासती चावल के निर्यात पर रोक लगाई, फिर सेला चावल को छोड़ पूरे गैर बासमती चावल के निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगा दी, उसके बाद सेला चावल निर्यात पर 20 फीसद टैक्स के साथ बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त लगाई.
सरकार के इन फैसलों की वजह से इस साल भारत से चावल के निर्यात में गिरावट आई है. इस साल अप्रैल से अगस्त के दौरान देश से करीब 84 लाख टन चावल का एक्सपोर्ट हो पाया है जबकि पिछले साल इस दौरान करीब 94 लाख टन चावल का एक्सपोर्ट हो गया था. एक्सपोर्ट पर पाबंदियों से पहले भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक था और दुनिया में निर्यात होने वाले कुल चावल में भारत की हिस्सेदारी करीब 40 फीसद थी, दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को भारत का चावल एक्सपोर्ट होता था.