RBI के नए नियम से ट्रेडिंग वॉल्‍यूम घटने की आशंका, ट्रेडर्स को लगेगा झटका

आरबीआई ने 5 जनवरी को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि एनएसई और बीएसई पर रुपए में होने वाले करेंसी कॉन्‍ट्रैक्‍ट के लिए मुद्रा यानी एक्सपोजर होना जरूरी है

RBI के नए नियम से ट्रेडिंग वॉल्‍यूम घटने की आशंका, ट्रेडर्स को लगेगा झटका

सट्टेबाजी या महज मुनाफा कमाने के लिए एक्‍सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव का इस्‍तेमाल करना अब ट्रेडर्स पर भारी पड़ेगा. 5 अप्रैल से लागू होने वाले आरबीआई के नए नियम से इस पर रोक लगाई जाएगी. ऐसे में ट्रेडिंग वॉल्‍यूम के घटने की आशंका है. नए कायदों के चलते करेंसी डेरिवेटिव में खुदरा निवेशकों और वित्तीय संस्थानों (प्रॉपराइटरी ट्रेडरों) की भागीदारी बरकरार रहने पर भी संशय खड़ा है.

बता दें आरबीआई ने इस सिलसिले में 5 जनवरी को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्‍बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर रुपए में होने वाले करेंसी कॉन्‍ट्रैक्‍ट के लिए एक्सपोजर होना जरूरी है. बगैर अंडरलाइग फॉरेन एक्‍सपोजर के अगर कोई एक्‍सचेंजों में रूपी डेरिवेटिव पर दांव लगाता है तो उसे नियमों के खिलाफ माना जाएगा. नए नियम के तहत 10 करोड़ डॉलर से अधिक के निवेश वाले ट्रेडरों को कस्टोडियन पार्टिसिपेंट या अधिकृत डीलर नियुक्त करना जरूरी होगा.

मुनाफा कमाने के लिए करते हैं ट्रेडिंग

वर्तमान नियम के तहत अब तक करेंसी ट्रेडर्स को डेरिवेटिव मार्केट में ट्रेडिंग की छूट थी. उनके लिए अंडरलाइग एक्‍सपोजर बताना जरूरी नहीं है. इसका मतलब यह है कि इन पर विदेशी करेंसी में भी ट्रेडिंग पर कोई लायबिलिटी नहीं होती है. मुद्रा वायदा में ज्यादातर लेनदेन खुदरा श्रेणी में होते हैं, जो ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) बाजारों में लेनदेन नहीं कर सकते थे. करेंसी डेरिवेटिव में 60 फीसदी से ज्यादा लेनदेन खुदरा ट्रेड से ही आते हैं और करेंसी डेरिवेटिव्स एक्सचेंज पर लिक्विडिटी बनाए रखने में इनकी अहम भूमिका होती है. ट्रेडर्स या सट्टेबाज आर्बिट्राज का इस्‍तेमाल महज इसका फायदा उठाने या एक्‍सचेंज करेंसी डेरिवेटिव में ट्रांजेक्‍शन के लिए करते हैं. बता दें अगस्त 2008 में जब फ्यूचर्स एंड ऑप्शन कारोबार शुरू हुआ था तब आरबीआई ने विदेशी विनिमय दर से जुड़े जोखिमों से बचाव के लिए डॉलर व रुपया मुद्रा वायदा में लेनदेन की अनुमति दी थी.

दैनिक कारोबार में दिखी गिरावट

करेंसी डेरिवेटिव ट्रेडिंग करने वाले तीनों एक्सचेंजों पर औसत दैनिक कारोबार में मार्च महीने में काफी ज्‍यादा गिरावट देखने को मिली है. एनएसई पर मार्च में औसत दैनिक कारोबार 1.56 लाख करोड़ रुपए था, जो अप्रैल में करीब 44 फीसदी घटकर 87,045 करोड़ रुपए रह गया है. इसी तरह बीएसई पर औसत दैनिक कारोबार 21 फीसदी घटकर 4,878 करोड़ रुपए और एमएसई पर 97 फीसदी कम होकर 46 करोड़ रुपए रह गया है. एक्सचेंज पर मुद्रा डेरिवेटिव्स में विकल्प कारोबार में भारी गिरावट दर्ज गई. वित्त वर्ष 2024 के पहले नौ महीनों के दौरान इस श्रेणी में महज 7,968 अनुबंधों का कारोबार हुआ, जबकि एक साल पहले की अवधि में 88,193 अनुबंधों का कारोबार हुआ था.

Published - April 4, 2024, 11:37 IST