Residential projects
सरकार ऊर्जा की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए ऊर्जा कोड को संशोधित करने की योजना बना रही है. उम्मीद की जा रही है कि नए नियम इस साल के अंत तक लागू हो सकते हैं. मौजूदा समय में 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में व्यवसायिक भवनों के लिए ये कोड अनिवार्य है.
ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) के निदेशक सौरभ दिद्दी ने बताया कि संशोधित अधिनियम में आवासीय भवन को भी शामिल किया गया है. इसलिए भविष्य में आवासीय भवन कोड भी अनिवार्य हो जाएगा. आंकड़ों के अनुसार ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन के लिए भवन और निर्माण उद्योग 35-40 फीसद तक जिम्मेदार है. मौजूदा समय में ऊर्जा संरक्षण इमारतों को बढ़ावा देने के लिए ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ईसीबीसी) वाणिज्यिक भवनों के निर्माण के लिए और आवासीय भवनों के लिए निर्माण के लिए इको निवास संहिता का पालन किया जाता है. नए नियम के तहत अब ईसीबीसी का काम महज हरित भवन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसके जरिए एम्बेडेड कार्बन, नेट जीरो और टिकाऊ इमारतों पर भी ध्यान दिया जाएगा.
निर्माण संख्या बढ़ने के चलते ईसीबीसी जरूरी
एईईई के अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक सतीश कुमार का कहना है कि अगले 20 वर्षों में भारत में आवासीय और वाणिज्यिक भवनों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. ऐसे में जब इमारत का निर्माण हो रहा हो तो इसे ठीक से बनाया जाना चाहिए. निर्माण के दौरान ऊर्जा संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. बता दें आवासीय भवनों के लिए इको निवास संहिता ईसीबीसी को स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (एसडीसी) की मदद से तैयार किया गया है.