पाम तेल के आयात की खेप में वृद्धि के कारण इस साल जुलाई में भारत का वनस्पति तेल आयात 46 फीसद बढ़कर 17.71 लाख टन पर पहुंच गया. उद्योग निकाय साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के मुताबिक एक साल पहले की इसी अवधि में देश का वनस्पति तेल आयात 12.14 लाख टन था. इसी तरह, तेल वर्ष 2022-23 (नवंबर-अक्टूबर) के पहले नौ महीनों के दौरान, वनस्पति तेलों का कुल आयात 23 प्रतिशत बढ़कर 122.54 लाख टन हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 99.74 लाख टन था.
वनस्पति तेल के आयात में खाद्य और अखाद्य दोनों प्रकार के तेल शामिल होते हैं. एसईए के अनुसार इस साल जुलाई के दौरान खाद्य तेल का आयात 46 प्रतिशत बढ़कर 17.55 लाख टन पर पहुंच गया, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 12.05 लाख टन था. उक्त अवधि में अखाद्य तेल का आयात भी 9,069 टन से बढ़कर 15,999 टन हो गया.
एसईए ने कहा कि खाद्य तेलों की घरेलू कीमतों में भारी कमी के साथ मांग वापस लौट आई है, जो बेहतर घरेलू उपलब्धता के बावजूद जुलाई के आंकड़ों में बढ़ते आयात से स्पष्ट है. पहली तीन तिमाहियों में खाद्य तेलों के आयात को देखते हुए उद्योग निकाय ने कहा कि अक्टूबर, 2023 को समाप्त होने वाले चालू तेल वर्ष में 150 से 155 लाख टन वनस्पति तेलों का ‘रिकॉर्ड’ आयात देखकर आश्चर्य नहीं होगा.
इसमें कहा गया है कि भारत के पास लगभग 45 दिन की जरूरतों के लिए भारी स्टॉक है और त्योहारी सत्र के दौरान आपूर्ति श्रृंखला संतोषजनक रहेगी. भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल और अर्जेंटीना से सोयाबीन तेल सहित थोड़ी मात्रा में कच्चे नरम तेल का आयात करता है. सूरजमुखी तेल यूक्रेन और रूस से आयात किया जाता है.
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