आर्थिक अपराध से जुड़े लोगों को जल्द एक विशेष कोड से जाना जा सकता है. कुछ-कुछ वैसे ही जैसे किसी क़ैदी को उनके बिल्ला नंबर से जाना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि आर्थिक अपराधियों के लिए सरकार अब जल्द ‘यूनिक इकॉनमिक ऑफेंडर कोड’ जारी करने की योजना बना रही है. यह हर आरोपी के लिए अलग होगा और उसके आधार संख्या या कंपनी के पैन से जुड़ा होगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह कोड अल्फा-नुमेरिक होगा. वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो ने ऐसे 2.5 लाख आर्थिक अपराधियों का एक डेटाबेस तैयार कर लिया है.
कोड से क्या होगा फ़ायदा?
इस यूनिक कोड के आधार/पैन से जुड़े होने की वजह से अपराध या घोटाला करने वालों के खिलाफ दर्ज आर्थिक अपराधों को ट्रैक करना और उनकी जांच करना आसाना होगा. अब जैसे ही पुलिस या कोई केंद्रीय खुफिया या प्रवर्तन एजेंसी राष्ट्रीय आर्थिक अपराध रेकॉर्ड्स (NEOR) में डेटा अपलोड करेगी, अपने आप सिस्टम से एक कोड जारी हो जाएगा. NEOR एक केंद्रीय कोष की तरह काम करेगा और आर्थिक अपराधियों के डेटा केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के साथ साझा किया जाएगा फिर वो अपने-अपने स्तर पर जांच और कार्रवाई कर सकेंगी. साथ ही बैंक या दूसरी वित्तीय संस्थाएं तय कर पाएंगी कि उस व्यक्ति को लोन या वित्तीय सेवाएं दी जानी चाहिए या नहीं.
इस सिस्टम से आर्थिक अपराधियों के खिलाफ मल्टी-एजेंसी जांच शुरू करना आसान होगा. अभी एक एजेंसी जांच पूरी करती है फिर चार्जशीट दाखिल की जाती है और फिर उस जानकारी को आगे जांच के लिए दूसरे के साथ शेयर किया जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस व्यवस्था को तैयार करने में 40 करोड़ रुपए लगेंगे और अगले 4-5 महीनों में NEOR तैयार हो जाएगा.