महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत किए जा रहे कामों की निगरानी अब ड्रोन के ज़रिए की जाएगी. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसके लिए ड्रोन उपयोग की एक नई नीति तैयार की है. इसके तहत ड्रोन से चल रहे मौजूदा कामों की निगरानी, पूरे हो चुके काम की जांच, काम का आकलन और शिकायत मिलने पर मामले की जांच होगी.
क्या हैं सरकार के दिशा निर्देश?
केंद्र की ओर से इस संबंध में जारी की किए गए सर्कुलर में कहा गया है कि मनरेगा के तहत कार्यों की गुणवत्ता की निगरानी और निरीक्षण के लिए काम शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद की तस्वीरें खींची जाएंगी. सर्कुलर में कहा गया है कि इस ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए हर ज़िले में एक लोकपाल तैनात किया जाएगा, जो स्वत: संज्ञान लेकर शिकायतों को दर्ज करेगा और उन्हें 30 दिनों के भीतर निपटाएगा. मंत्रालय ने अपने सर्कुलर में जारी दिशा निर्देशों में ये भी साफ़ किया है कि इस प्रक्रिया में इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन्स में हाई डेफिनेशन कैमरा होना चाहिए और ड्रोन ऐसे हों जो 30 मिनट तक हवा में रह सकें. साथ ही ड्रोन से लिए गए सभी वीडियो और फोटोज़ को ऑनलाइन सिस्टम ‘नरेगा सॉफ्ट’ पर शेयर करना होगा.
केंद्र नहीं देगा अलग से फंड
इन ड्रोन्स के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों को अलग से फंड नहीं दिया जाएगा. राज्यों को मनरेगा के लिए दी जाने वाली राशि में आकस्मिक खर्च के लिए होने वाले आवंटन में से ही ड्रोन के लिए राशि निश्चित की जाएगी.
भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम
ग्रामीण मंत्रालय को कुछ शिकायतें ऐसी मिली थीं कि मनरेगा में मजदूरों के जगह पर मशीनों का इस्तेमाल करवाया जा रहा है और कुछ लोगों के खातों में बिना काम किए पैसा भेजा जा रहा है. अब ऐसे मामलों में ड्रोन सुबूत जुटाने में मददगार होंगे और मनरेगा में हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकेगी.