कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में अब सरकार डीज़ल से चलने वाले चार पहिया वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है. पेट्रोलियम मंत्रालय की एनर्जी ट्रांजेक्शन एडवाइजरी कमेटी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में 2027 तक इन पर प्रतिबंध लगाने की सिफ़ारिश की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहरों में डीजल इंजन वाले वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना आवश्यक हो गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है.
इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का सुझाव
कमेटी ने अब इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर देने के लिए भी कहा है. कमेटी ने सुझाव दिया है कि शहरी परिवहन के लिए अब नई डीजल संचालित बसों की जगह साल 2024 से केवल इलेक्ट्रिक बसों का पंजीकरण किया जाए. इससे आने वाले 10 सालों में सार्वजनिक परिवहन में 75 फीसदी वाहन इलेक्ट्रिक हो सकेंगे.
ऑटो कंपनियों को झटका
प्रदूषण कम करने की दिशा में केन्द्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों और बायोफ्यूल को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. 1 अप्रैल 2023 से न्यू रियल ड्राइविंग एमिशन (RDE) BS6 फेज़-2 भी लागू हो गए हैं. इस सिस्टम के तहत वाहनों के वास्तविक समय में उत्सर्जन स्तर की निगरानी की जाती है जबकि इसके पहले किसी भी वाहन के प्रदूषण के स्तर को जांचने के लिए लैब की जरूरत पड़ती थी.वहीं अगर इस प्रस्ताव को सरकार की मंज़ूरी मिल जाती है तो कार्बन उत्सर्जन करने में काफ़ी हद तक मदद मिलेगी लेकिन इस फैसले से डीज़ल कार बनाने वाली कंपनियों को बड़ा झटका लगेगा. उन्हें अपनी कारों के डीज़ल वैरिएंट बंद करने होंगे.
बता दें पिछले साल महाराष्ट्र के अकोला में एक दीक्षांत समारोह के दौरान परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि आने वाले पांच साल में देश से पेट्रोल गाड़ियां खत्म हो जाएंगी और उनकी जगह इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, एथेनॉल से चलने वाली गाड़ियां ही दिखेंगी.