वित्त मंत्रालय ने विभिन्न विभागों और मंत्रालयों से अधिकारियों को मोबाइल, लैपटॉप और ऐसे ही अन्य उपकरण जारी करने के संबंध में दिशानिर्देशों का पालन करने और व्यय विभाग के दिशानिर्देशों के विपरीत किसी भी नीति को वापस लेने के लिए कहा है. वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले व्यय विभाग ने जुलाई में आधिकारिक कार्य के लिए भारत सरकार के पात्र अधिकारियों को मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट, फैबलेट, नोटबुक, नोटपैड, अल्ट्रा-बुक, नेट-बुक या समान श्रेणियों के उपकरण जारी करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे.
व्यय विभाग ने एक ताजा कार्यालय ज्ञापन जारी करते हुए कहा कि उसके संज्ञान में आया है कि विभिन्न मंत्रालयों/विभागों ने इस संबंध में अपनी नीतियां जारी की हैं जो वित्त मंत्रालय के दिशानिर्देशों की भावना के अनुरूप नहीं हैं. व्यय विभाग ने कहा कि मंत्रालयों/विभागों को इस विषय पर अपनी नीतियों को रोकने/वापस लेने और इस विभाग द्वारा जारी निर्देशों का अक्षरशः पालन करने का निर्देश दिया जाता है. जुलाई में जारी दिशानिर्देशों के अनुसार केंद्र सरकार के अधिकारी 1.3 लाख रुपए तक की कीमत वाले मोबाइल, लैपटॉप या इसी तरह के उपकरणों के हकदार थे, जिन्हें वे चार साल के बाद व्यक्तिगत उपयोग के लिए रख सकते थे.
उप सचिव और उससे ऊपर के स्तर के सभी केंद्र सरकार के अधिकारी ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के हकदार थे. अनुभाग अधिकारियों और अवर सचिवों के मामले में स्वीकृत क्षमता के 50 फीसद को ऐसे उपकरण जारी किए जा सकते हैं. उपकरण की कीमत के बारे में दिशानिर्देशों में कहा गया है कि यह एक लाख रुपये (कर सहित) हो सकती है. हालांकि 40 फीसद से अधिक मेक इन इंडिया (भारत में निर्मित) कलपुर्जों वाले उपकरणों के लिए कीमत सीमा 1.30 लाख रुपए (कर समेत) होगी.
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