शहरों में घटते रोजगार ने बढ़ा दी मनरेगा की मांग

अप्रैल-अगस्त के दौरान मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की संख्या 17.1 करोड़ थी

शहरों में घटते रोजगार ने बढ़ा दी मनरेगा की मांग

शहरों में रोजगार घटने की वजह से मनरेगा के तहत ग्रामीण इलाकों में काम मांगने वालों की संख्या बढ़ गई है. चालू वित्त वर्ष में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत काम की मांग में फिर से बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 में मनरेगा की मांग में कमी दर्ज की गई थी. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-अगस्त के दौरान योजना के तहत काम मांगने वालों की संख्या 17.1 करोड़ थी, जो 2019-20 की समान अवधि के मुकाबले 19 फीसद ज्यादा है. 2019-20 में अप्रैल से अगस्त की अवधि में 14.4 करोड़ लोगों ने काम की मांग की थी.

चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीने में 1.69 अरब दिन के रोजगार के मौके बने थे, जबकि 2019-20 की इसी अवधि में यह आंकड़ा 1.22 अरब दिन था. बीते 5 वित्त वर्ष में कोविड महामारी के साल 2020-21 में मनरेगा के तहत काम की मांग सबसे ज्यादा थी. बता दें कि उस साल की पहली तिमाही में पूरे देश में पूरी तरह से लॉकडाउन था. साल 2020-21 के पहले 5 महीने में मनरेगा में काम मांगने वाले व्यक्तियों की संख्या सालाना आधार पर 47.5 फीसद बढ़कर 212 मिलियन दर्ज की गई थी. हालांकि बाद में जैसे-जैसे कोविड-19 महामारी कम हुई और प्रतिबंध कम हुए 2021-22 और 2022-23 के पहले पांच महीनों में काम की मांग सालाना आधार पर क्रमशः 6.5 फीसद और 17.4 फीसद की गिरावट आ गई थी.

पिछले साल की तुलना में अप्रैल-अगस्त में काम मांगने वालों की संख्या 4 फीसद बढ़ी
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में काम की मांग फिर से बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अप्रैल से अगस्त की अवधि के दौरान काम मांगने वाले व्यक्तियों की संख्या पिछले साल की तुलना में 4 फीसद ज्यादा थी. बता दें कि मनरेगा ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत एक योजना है. इस योजना का लक्ष्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिन की गारंटीकृत रोजगार प्रदान करना है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी की प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती के मुताबिक कोविड महामारी के बाद की अवधि में मनरेगा की ज्यादा मांग से यह संकेत मिल रहे हैं कि रोजगार के अन्य मौके कम हो रहे हैं. ऐसे में आजीविका संकट से निपटने के लिए मनरेगा के तहत काम की मांग बढ़ रही है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में ग्रामीण बेरोजगारी दर जून के 8.73 फीसद से घटकर 7.89 फीसद हो गई, जबकि इसी अवधि में शहरी बेरोजगारी 7.87 फीसद से बढ़कर 8.06 फीसद हो गई है.

Published - September 12, 2023, 04:22 IST