डेटा प्रोटेक्शन बिल में ऐज ऑफ कंसेंट यानी सहमति की आयु को कम किया जा सकता है. बिल के संशोधित (Revised Version) प्रारूप में कंपनियों को यह छूट दी जा रही है कि 18 साल से कम उम्र के लोगों यानी नाबालिगों के डेटा को सुरक्षित तरीके से प्रोसेस करने पर उन्हें उनके माता-पिता से डेटा प्रोसेसिंग की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी. डेटा प्रोसेसिंग का मतलब है कंपनियां डेटा जमा करती हैं और उनका इस्तेमाल अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए करती हैं. डेटा यानी कि नाम, तस्वीरें और दूसरी निजी जानकारी.
सरकार ने बिल के मसौदे (Draft) में बच्चे की परिभाषा बदल दी है. एक बच्चे का मतलब उस व्यक्ति से है जिसने 18 साल की उम्र पूरी नहीं की है या इससे कम वह उम्र पूरी नहीं की है जो केंद्र सरकार आगे नोटिफाई कर सकती है. ऐज ऑफ कंसेंट का मतलब नाबालिगों के डेटा प्रोसेसिंग के लिए उनके माता-पिता से मंजूरी लेने से है. यानी यह नियम 18 साल से कम उम्र के लोगों से जुड़ा है. पहले यह तय किया गया था कि 18 साल से कम उम्र के लोगों के डेटा प्रोसेसिंग के लिए कंपनियों को उनके माता-पिता से मंजूरी लेनी होगी.
कंपनियों की क्या होगी जिम्मेदारी?
नियम के तहत बड़ी टेक या सोशल मीडिया कंपनियों की यह जिम्मेदारी होगी कि बच्चों के डेटा को इस तरह प्रोसेस न किया जाए कि उससे नाबालिगों को किसी तरह का नुकसान हो.
गौरतलब है कि हाल ही में डेटा प्रोटेक्शन बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी और इसे संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा. बिल पास होने के बाद यह कानून देश में कोर डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क बन जाएगा. 6 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेसी यानी निजता को एक मौलिक अधिकार घोषित किया था.
पिछले मसौदे से अलग
ऐज ऑफ कंसेंट में संभावित बदलाव पिछले साल पेश किए गए डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 के मसौदे (draft) से अलग होगा जिसमें ऐज ऑफ कंसेंट 18 साल रखा गया था.
कंपनियों की मांग
मसौदे के बाद सोशल मीडिया कंपनियां सरकार से ऐज ऑफ कंसेंट में बदलाव की मांग कर रही थीं. उनकी दलील दी थी कि ऐज ऑफ कंसेंट 18 साल से कम होने का उनके कारोबार पर असर पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके यूजर्स में 18 साल से कम उम्र के लोगों की बड़ी संख्या है और इन यूजर्स के डेटा प्रोसेस करने की खातिर उनके माता-पिता से मंजूरी लेने के लिए उन्हें नई व्यवस्थाएं करनी होंगी.
सोशल मीडिया कंपनियों को इससे यह भी फायदा होगा कि उनके पास एक बड़ा यूजर बेस होगा जिसे वे बच्चों को टार्गेट करने वाले विज्ञापन दिखा सकेंगे और उन्हें अपना रेवेन्यू बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
पश्चिमी देशों में क्या हैं ऐज ऑफ कंसेंट?
भारत में ऐज ऑन कंसेंट कम करने से हमारे नियम पश्चिमी देशों के डेटा प्रोटेक्शन नियमों के अनुरूप होंगे. अमेरिका और यूरोपियन यूनियन में ऐज ऑफ कंसेंट 18 साल से कम है. ज्यादातर पश्चिमी देशों में यह उम्र 13 से 16 साल के बीच है.