जुलाई में रूस की तरफ से भारत को कच्चे तेल के निर्यात पर डिस्काउंट कम किए जाने के बाद वहां से कच्चे तेल के आयात में जो गिरावट आई थी, उसकी भरपाई अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने की वजह से सितंबर में हुई है. सितंबर के दौरान रूस से कच्चे तेल के इंपोर्ट में फिर से बढ़ोतरी दर्ज की गई है. एनर्जी कार्गो ट्रैकर कंपनी वोरटेक्सा की रिपोर्ट कहती है कि सितंबर के दौरान भारत में रूस से रोजाना 15.6 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात हुआ है जो अगस्त में आयात से करीब 8 फीसद ज्यादा और 2022 के सितबर में हुए आयात के मुकाबले 80 फीसद अधिक है. अगस्त के दौरान रूस से भारत में रोजाना 14.4 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात हुआ था और पिछले साल सितंबर के दौरान 8.65 लाख बैरल का रोजाना इंपोर्ट था.
रिपोर्ट के मुताबिक रूस का Ural Grade तेल ब्रेंट क्रूड के मुकाबले सस्ता है जिस वजह से भारत में उसका आयात बढ़ा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रेंट क्रूड के मुकाबले Ural Grade तेल का भाव 6 डॉलर प्रति बैरल कम है. सस्ता होने की वजह से भारतीय तेल कंपनियां ब्रेंट क्रूड को के मुकाबले Ural Grade तेल के इंपोर्ट को ज्यादा तरहीज दे रही हैं. फिलहाल विदेशी बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव 92 डॉलर प्रति बैरल के करीब है.
जुलाई से रूस और सऊदी अरब ने कच्चे तेल के रोजाना उत्पादन में कटौती लागू की हुई है और यह कटौती दिसंबर अंत तक लागू है. दोनों देशों की तरफ से उत्पादन में कटौती की वजह से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है. ब्रेंट क्रूड की बढ़ी हुई कीमतों की वजह से भारत ने सऊदी अरब से तेल आयात में कटौती की है और रूस से आयात बढ़ाया है.
हालांकि भारत ने रूस के अलावा इराक से भी कच्चे तेल का आयात बढ़ाया है. सितंबर के दौरान इराक से रोजाना 9.26 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात हुआ है. जबकि सऊदी अरब से सितंबर में रोजाना सिर्फ 5.06 लाख बैरल तेल का ही इंपोर्ट हो पाया है. फिलहाल भारत को तेल निर्यात करने के मामले में रूस सबसे आगे है.