देश में नई कंपनियों के गठन में आई रिकॉर्ड तेजी को देखते हुए कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने कंपनियों के लिए एक नया निर्देश जारी किया है. इस निर्देश में सभी कंपनियों को नियमित तौर पर जनरल मीटिंग आयोजित करने के लिए कहा गया है. मंत्रालय का कहना है कि इससे कंपनियों के शेयरधारकों को प्रबंधन के निर्णयों पर सवाल उठाने के लिए एक प्लेटफॉर्म मिलेगा. नियमित बैठकों से सदस्यों को कंपनियों के प्रदर्शन के बारे में सही और सटीक जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी. इससे कंपनियां अपनी जिम्मेदारी अच्छे से समझ सकेंगी और वे अपने रिकॉर्ड को पारदर्शी बनाने की कोशिश करेंगी.
मंत्रालय का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत में रिकॉर्ड स्तर पर नई कंपनियों और एलएलपी का गठन हो रहा है. आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में 18 अक्टूबर तक 134,725 नई कंपनियों और एलएलपी का गठन हुआ है, जो एक साल पहले की तुलना में 14.6 फीसदी ज्यादा हैं. पिछले हफ्ते मंत्रालय ने कंपनियों से अतिरिक्त शुल्क से बचने के लिए अपने वित्तीय विवरण और वार्षिक रिटर्न समय पर दाखिल करने को कहा था.
हाल के वर्षों में हुए आईएलएंडएफएस घोटाले के बाद से कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और नियामकों ने भारत में कॉरपोरेट प्रशासन की जांच कड़ी कर दी है. इस साल की शुरुआत में, राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण ने कहा था कि इस्तीफा किसी ऑडिटर को धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने की उसकी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं कर देता है. कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 96 के तहत, कंपनियों को सदस्यों की वार्षिक आम बैठक (AGM) आयोजित करना अनिवार्य है. किसी कंपनी को वित्तीय वर्ष के अंत से छह महीने के भीतर अपनी एजीएम आयोजित करनी होगी और किन्हीं दो एजीएम के बीच का अंतर 15 महीने से अधिक नहीं हो सकता है. एजीएम में सामने आए बेहद जरूरी मामलों को संबोधित करने के लिए, कोई कंपनी अपने सदस्यों के अनुरोध पर एक असाधारण आम बैठक आयोजित कर सकती है.